उमराय-उमरेर २ राणा राजसिंहके पौत्र और जयसिंहके पुत्र।। गोत्र प्रवर्तक । इनके वंशज फारूकौशैख कर १६८१ ई. को राणा राजसिंहके स्वर्ग जानपर जय लाते हैं। सिंह राणा बने थे। उन्होंने २० वर्ष शान्तिपूर्वक | उमरी-१ मध्य-भारतके ग्वालियरके बीचका एक राज्य किया। फिर उत्तराधिकार जयसिंहके पुत्र राज्य। यह अक्षा० २४.४५'उ० तथा दाधिक उमाको मिला था । औरङ्गजेबक लड़कोंमें जो २२ पू० पर है। स्थानीय राजा अपना प्रबन्ध अ झगडा चलता, उसमें इनका हाथ फंसा रहता था। चलाते हैं, ग्वालियर के महाराज किसी विषयमें रम्न- १८१३ ई० को मारवाड़, मेवाड़ और जयपुरके राज क्षेप नहीं करते। १८०३ ई० को उमरोके राजाने कुछ यूतीने साज़िश कर मुसलमानी राज्य मिटाना चाहा। राजपूत दबाने में जनरल जोहन बपतिस्तेको साहार मुग़ल अफसर निकाले गये थे। मन्दिरोंके स्थानों में दिया था। इससे उनका राज्य से धियाको अधीन- बनीं मसजिद लोगोंने तोड़ डालों। किन्तु यह तामें न रहा। उमरौ हो राज्य का प्रधान नगर भी है। साजिश थोड़े ही दिन चली।मारवाड़के राजा अजित । २ मध्यप्रदेश के भराडारा जिले को एक जमीन्दारी। ने अपनी कन्या व्याह बादशाइसे अलग सन्धि की थी। यह अक्षा० २०° ४६ उ० तथा ट्रावि० ४८.४६ पू. राणा उमग बादशाहकी अधीनता स्वीकार करते भी पर अवस्थित और नौगांवके बड़े हुदम २ कॉम पशिम दूसवी बातम न दबे। १७१६ ई० को इनके स्वर्ग दूर है। क्षेत्रफल १७ वर्ग मोल है। यह जमीन्दारी जानपर सङ्गामसिंह गद्दीपर बैठे थे। हलवा वंश के पूर्वजों को राजसेवाके उपलक्ष्य में मिलोथो। उमराय (हि.पु.) समरा, अमीर लोग। ३ युक्त प्रान्तके मुरादाबाद जिले को अमरोहा तह- उमराव, उमराय देखो। सोलका एक गांव। यह अक्षा० २९ २ १५० उ० उमराव पाटकर-बम्बई प्रान्तको काठी जातिके एक! तथा द्रापि० ७८.३६ ३० पू० में मुरादाबादसे बिज- पूज। कहते हैं,१५०० ई०के समय यह कुछ काठियोंके | नौर जानवालो सड़कपर अवस्थित है। प्रति सप्ताह साथ धांक में घुसे थे। उमरावकी कन्या उमरा बाई। बाजार लगता है। कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में एक बहुत सुन्दर थी। धाकके राजा उसे चाहने लगे।। तेवारी 'उमरी' के होते हैं। जब उन्होंने विवाह होने का प्रस्ताव किया, तब उम- (हिं स्त्री०) वृक्षविशेष, एक पौदा, मचोल । रावने कह दिया-यदि आप साथ भोजन करेंगे, तो इसकी लकड़ी जलाकर सज्जीखार तैयार करते हैं। हम उमा बाईको व्याह देंगे। धान राजा उसपर मन्द्राज, बम्बई और बंगाल तीनों प्रान्तोंमें इसे पाते राजी हुये। किन्तु बन्धुबान्धवोंने उन्हें पतित हैं। ५ ग्रामविशेष। कान्यकुब ब्राह्मणोंमें एक समझ निकाल दिया। फिर धन राजा उमरावके | तेवारी उमरीके होते हैं। साथ काठियों के नेता बने रहे। उमरेर-१ मध्यप्रदेशके नागपुर जिलेको दक्षिण-पूर्व उमरावसिंह-१ युक्त प्रान्तस्थ फरुखाबाद जिलेके तहसील। क्षेत्रफल १०२५ वर्ग मोल है। उसमें अमेठीवाले एक राजा। यह विद्याके बड़े रसिक थे। १३४ वर्गमील भूमि निष्कर है। उनाव जिलेके विजापुरवाले सुवंश शुलने इनकी २ उक्त तहसीलका प्रधान नगर। यह अचा. सभामें रह 'अमरकोष,' 'रसतरङ्गिणी' और 'रस २०१८ उ० तथा ट्राधि० ७८. २१ पू० पर नागपुरसे महरो'का हिन्दीमें अनुवाद किया, जिनका जम्म १४ कोस दक्षिण-पूर्व अवस्थित है। उमरेर नगर १७७७ ई० को हुआ। अम्बनदीके उत्तर तौर हलको रेतपर बसा और ___२ सीतापुर जिलेके सैदपुरवाले एक पंवार कवि।। पूर्वको ओर प्रामके बागका हाशिया लगा है। यह १८८३ ई. में जीवित थे। ई. १७ वौं शताब्दीके भन्तको चिमूरक मूनाजी पण्डि- उमरल फारूक-गुजरातमें रहनेवाले शैखोंके एक । सने इसे प्रतिष्ठित किया था। बख्त बुलन्दने उन्हें यह
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