३५० उपहतात्मा-उपहितभर उपहतामा (सं• त्रि.) विचलित-हृदय, जो दिलमें! संज्ञायां कन्-टाए, अत इत्वम्। ताम्बूलाधार, पान-.. घबरा गया हो। सुपारीको छोटी डब्बी या थैली। उपहति (सं. स्त्री०) उप-हन-तिन् । १ उपघात, उपहार (सं० पु०) उप-हु-धञ्। १ उपढौकन, मारकाट । २ कार्यमै असामर्थ्य, काम कर न सकनेको भेंट। २ उपढौकनका ट्रव्य, नजरानेको चौज़। हालत। ३ प्रतिहनन, धक्कामुक्की। ३ हव्य, आहुति। ४ सम्मान, इज्जत। ५ कर, सुल- उपहन (वै.वि.) थाक्रामक, हमला मारनेवाला।। हकी भेंट। ६ अतिथिको दिया जानेवाला भोजन, (ऋक् रा३।१६) जो खाना मेहमानों को बंटता हो। ७ परमाह्वाद, उपहत्या (सं० त्रि०) नेत्रप्रतिघात, चकाचौंध। बड़ी खुशी। इसे शैव अपनी उपासनामें देखाते हैं। उपहन्तव्य (स.वि.) वधके योग्य, जानसे मारे अट्टहास, नृत्य, गीत, वृषभवत् गजेन, नमन और भजन जानके काबिल। उपहारका अङ्ग है। (त्रि०) उपगतः हारम् । ८ हारो- उपहन्ट (स० वि०) उप-हन्-टच्। विचलित कर | पशोभक, गजरेको खबसूरती बढ़ानेवाला। (अव्य.) देनेवाला, जो घबरा देता हो। - हारसमीप, गजरेके पास। उपहरण (सं० लो०) उप-हल्यु ट्। १ परिवेशन, उपहारक (सं० पु०) हव्य, आहुति । को भेंट । २ समीपमें आनयन, नजदीक | उपहारी (स.नि.) १ उपढौकन समर्पण करने लानेकी बात। ला, जो मजराना देता हो। २ आहुति देनेवाला. उपहरणीय (स• त्रि.) परिवेशनीय, भेंट किये | जो यज्ञ करता हो। जाने लायक। उपहालक (स. पु०) कुन्तल देश, दाक्षिणात्यके उपहर्तव्य, उपहरसौष देखो। कर्णाटकका एक हिस्सा। उपहर्ट (सं० वि०) उप-ह-टच् । परिवैषक, भेंट | उपहास ( स० पु०) उप-हस भावे घ । निन्दा- चढ़ानेवाला। सूचक हास, हंसो ठट्टा। (रव १२॥३७) "संस्कर्ता चोपहर्ता च खादको ति घातकाः।” ( मनु ५५१) | उपहासक (स. त्रि०) १ परिहासशील, दूसरोंको । . 'उपहा परिवेषकः । ( मेधातिथि) हंसी उड़ानवाला। (पु.)२ चाटुपट भाड। उपहव (स० पु०) उप-के-अप्। द्वै सम्प्रसारणं च | उपहासास्पद (सं० लो०) हासपात्र, मसखरा । न्यभ्युपविषु, । पा २०१२। पाद्वान, पुकार। “वीणामुपसरं उपहासी (हि.) उपहास देखो। दृष्टा तेऽन्योन्योपड़वा गुहाम्।” (भडि) २ यज्ञीय समिध् । "सब नृप भये योग उपहासौ । पञ्चयज्ञके मध्य यज्ञविशेष । (अथवं ११।११) जैसे विनु विराग सन्नग्रासौ॥” (तुलसी) उपहव्य (संपु) उपह्वयतेऽत्र । उप-हु बाहुल- उपहास्य ( स० त्रि. ) उप-हस कर्मणि ण्यत् । कात् यत् । सप्तदश स्तोमात्मक। उपहासके योग्य, जो हंसा जानेके काबिल हो। उपहसित (स० लो०) उप-हस भावे क्त । १ उप- 1 उपहित (सं० त्रि०) उप-धा-त । १ निहित, सास, हंसी-ठट्ठा। निन्दापूर्वक हास्यको उपहसित लगा हुआ। २ अपित, दिया हुआ। ३ समीप कहते हैं। इसमें नाक फुलाते, आंख चढ़ाते और स्थापित, नजदीक रखा हुआ। ४ आरोपित, अपर गईन हिलाते जाते हैं। (त्रि.) कर्मणि त। २.उप- चढ़ाया हुआ । “पुष्प' प्रवालोपहितं यदि स्यात् ।" (कुमार) हास किया हुघा, जो उन्न बनाया गया हो। ५ उपाधिसङ्गत, उपलक्षित। ६ दत्त, दिया हुआ। उपहस्त (सं० पु.) प्रतिग्रह, हस्त द्वारा ग्रहण, | ७ ग्रहीत, लिया था। हाथसे ले लेनेको बात। उपहितभर (स'• त्रि.) भारका परिमार ले जाने... उपहस्तिका (सं-स्त्री.) 'उपगता हस्तम् उप-हस्त वाला, जो बोझ ढो रहा हो।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३५१
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