उपरत्न-उपरि नहीं रखती, वही उपरति है। ५ निवारण, हटा | उपरांठा (हिं० पु०) परांठा, घी लगा लगाकर देनेका काम। ६ बुद्धि, अक्ल। ७ मृता, मौत। सिर्फतवेपर सेकी हुई रोटी। उपरत्न (सं० लो०) उपमितं रत्नमेव । गौणरत्न, उपरा (हिं० पु.) वृत्ताकार उत्पल, गोल गोल कण्डा। दूसरे दरजेका जवाहिर। उपराग (सं० पु०) उप-रन्ज-वञ् । १ राहुग्रस्त "उपरबानि काच कर्पूरीऽश्मा तथैव च। चन्द्र। २ राहुग्रस्त सूर्य । ३ राहु। ४ विगान, मुक्तावति तथा शङ्ग इत्यादीनि बहून्यपि ॥ छोटा राग। ५ दुर्णं य, बदचलनी। ६ परीवाद, बद- गुणा यथ व रवानामुपरवेषु ते तथा । नामी। ७ ग्रहकल्लोल, सितारोंकी लहर। ८ व्यसन, किन्तु किञ्चित्ततो होना विशेषोऽयमुदाइतः ॥” (भावप्रकाश ). आदत। ८ सम्बन्ध, तालक। १० निन्दा, हिका- काच, कपूर, प्रस्तर, मुक्ता, शुक्ति, शङ्ख इत्यादि रत। ११ प्रवृत्ति, तरगोब। १३ गौणरूप, भाई। उपरत्न हैं। उपरत्नमें रत्नकी तरह गुण होते भी वे उपराचढ़ी (हिं. स्त्री०) अहमहमिका, चढ़ा-बढो. कुछ कम रहते है। काच प्रभृति देखो। ले-दे। जब कुछ मनुष्य कोई काम करने चलते उपरना (हिं० पु०) १ ऊपरी वस्त्र, दुपट्टा चद्दर । और उनमें सबके सब उतकर्ष पानेके लिये हाथ (क्रि.) २ उत्पाटित होना, उखड़ पड़ना। मलते है, तब उस अवस्थाको उपराचढी कहते हैं। उपरन्ध (सं० लो०) अखके उदरगह्वरका उपरि उपराज (सं० पु.) १ राजाके अधीनस्थ राजतुल्य भाग, घोड़े के पेटवाले गड्डे का ऊपरी हिस्सा। माननीय व्यक्ति, राजप्रतिनिधि, नायब-उल-सलनत, उपरफट (हि. वि.) अनावश्यक, बेमतलब, जो। वायसराय। (श्रव्य) २ राजाके निकट, बादशाहके कारामद न हो। पास। (त्रि.) ३ राजतुल्य, बादशाह जैसा। उपरफट, उपरफट देखो। उपराजना (हिं. क्रि०) १ उत्पन्न करना, जन- उपरम (सं० पु०) उप-रम-घज निपातनात् न माना। २ निर्माण करना, बनाना । ३ उपार्जन वृद्धिः। १निवृत्ति, बन्दी। २ निवारण, परहेज करना, कमाना। गारी। ३ मृत्य, मौत। उपराना (हिं. क्रि० ) १ उगमन करना, ऊपर ' उपरमण (स'• लो०) १ वैराग्य, दुनयावी चीजोंसे चढ़ना। २ प्रकट होना, देख पड़ना। ३ सन्तरण तबीयत हट जानेको बात। २ निवृत्ति। ३ बन्दी।। करना, उतराना। उपरव (सपु०) उप-रु आधारे घञ । गर्ता उपरान्त (सं० अव्य०) अनन्तर, बाद, पोछ। कार प्रदेश, आवाजका गड्डा। यह सोमके अभिष- | उपराम (सं० पु०) उप-रम-घञ् वा वृद्धिः। १ उप- वका एक अङ्ग है। (शतपथब्रा० ३।४।१-१३) रति, परहेज। २ मृत्य, मौत। ३ विवृत्ति, कुट- उपरवार (हिं० स्त्री०) उच्चभूमि, बांगर जमीन् । कारा। ४ सन्यास । (अव्य०) ५ रामसमीप, उपरस (सं० पु०) उपमितो रसेन । गौणरस, उप रामके पास। . धातु, दूसरे दरजेको कानो शै। राजनिघण्टके मतसे उपराला (हिं. पु०) साहाय्य, मदद। पारद, अञ्जन, कङ्गुष्ठ, सिन्दूर, गैरिक, क्षितिज और उपरावटा (हिं० वि०) अभिमानौ, अकड़बाज, शैलयको उपरस कहते हैं। भावप्रकाश कङ्गठ, घमण्डसे सर उठाये हुआ। गैरिक, शङ्ख, कासौस, सोहागा, नीलाञ्जन, शुक्ति और उपराही (हि. वि.) १ उपरिस्थ, ऊपरवाला। वराटकको उपरस बताता है। प्रत्येक शब्दमें विस्तारित | (क्रि० वि०) २ ऊपर । विवरण देखो। उपरि (सं० अव्य. ) उर्वरिल उपादेशश्च । उपरहित (हि.) पुरोहित देखो। "ऊर्ध्वस्य उपभावी रिशिष्टातिलौ च ।" (पा३३ पूर्व बार्तिक) उपरहिती. (हिं. स्त्री०) पौरोहित्य देखो। | १जवं, अपर। २ अनन्तर, बाद।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३३७
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