३२ . दूनाम देना-दुन्थिहा इनाम देना (हिं. क्रि०) पारितोषिक बांटना. पलटा। जन्म लग्नमें व्याप नक्षत्रगणसे प्रथम पड़ता है। इन्थिहा पहुंचाना। प्रत्यह अनुपाद क्रमसे शरलिप्तके साथ बढ़ती है। इनाम पाना (हिं. क्रि.) पारितोषिक मिलना, किसी-किसीके मतानुसार यह मासमें डेढ़ अंशपर कामका नतीजा निकलना। व्याप्त होती है। खामिसौम्यतामें सौम्यता रहती इनायत (अ० स्त्री०) १ अनुग्रह, मेहरबानी। और क्षुत दृष्टि से भय तथा रोगको वृद्धि लगती है। २ साहाय्य, मदद। इसके भावावलोकनका फल वर्षलग्न में सुखप्रद और इनायत करना (हिं.क्रि.) १ देना, बखूशना । अन्त्यरिपुरन्ध में प्रशभ निकलता है। पुणकर्म एवं २ कृपा देखाना, मेहरबानी लाना। आयगामी होनेसे मुथहा स्वामित्व और अपुणप्रकम इनायत रखना (हिं.क्रि.) कृपा देखाना, मेहर पड़नसे उद्यमवश धन देती है। यह शरीरस्थ होनसे बानीको नज़र डालना। शत्रुक्षय, मनस्तुष्टि लाभ, प्रतापवृद्धि, राजप्रसाद, शरीर इनायती (अ. वि.) दिया हुआ, जो बखू शा पुष्टि, विविध उद्यम और सुखप्रदान करती है। अर्थ- गया हो। भावमें पड़नसे मुथहा उत्साहके साथ अर्थ लाती, इनारा, दारा देखो यशः फैलाती, बन्धु मिलाती, मान बढ़ाती, उत्तम इनु (सं० पु०) गन्धर्व विशेष। खाद्य पहुंचाती और सुख प्रभृति उपजाती है। परा- इन-गिने (हिं.क्रि.) अल्प, परिमित, चन्द, थोड़े, क्रम हेतु वित्त, यशः एवं सुखप्राप्ति और सौन्दर्यसुख, भूले-भटके। देवता-ब्राह्मणभक्ति तथा दूसरेके उपकारको प्रवृत्ति इन्तिकाम (अपु०) प्रत्य पकार, बदला। होती है। इसके तृतीय लग्नमें जानेसे शरीर पुष्ट इन्तिकाम लेना (हिं. क्रि०) प्रत्यु पकार पहुंचना, पड़ता, कान्तिका प्रभाव बढ़ता और राजाश्रय हाथ बदला चुकाना। पड़ता है। इन्थिहाके सुखभावमें पहुंचनेसे शत्र भय, इन्तिकाल (अ० पु० ) १ स्थानान्तर प्रापण, तहवील । आत्मीय विरोध, मनस्ताप, निरुद्यम, लोकापवाद, २ प्रवासन, जलावतनो, देशनिकाला। ३ उत्सारण, | पौड़ाभार और दुःखको वृद्धि होती है। जब यह सरकाव। ४ समर्पण, पहुंचाव । ५ मृत्यु, मौत। पञ्चम स्थानमें आती; तब सदबुद्धि सौख्य, पुत्र, धन, इन्तिज़ाम (अ० पु०) १ रचना, आरास्तगी, सजा- | प्रताप, विविध विलास, देवता-ब्राह्मण-भक्ति एवं राज- वट । २ प्रणयन, काररवायो। ३ उपाय, तदबीर, प्रसाद बढ़ाती है। मुथहाके अरिगत होनेसे अङ्ग में ढङ्ग। ४ राजव्यवस्था, कानन् । ५ विधि, कायदा।। क्लम पैठता, शत्रु बढ़ता, भय लगता, रोग उपजता, इन्तिज़ाम ख़ानगो (अ० पु०) गृहरचना, घराव | और चढ़ता, राजा भड़कता, कार्य बिगड़ता, अर्थ सजावट। घटता का प्रभाव पड़ता और अनुताप उठता इन्तिजार (प.पु.) अपेक्षा, भरोसा। है। स्मरमें आनेसे यश स्त्रीपुत्रादि व्यसन लगातो, इन्तिज़ार करना (हिं. क्रि०) अपेक्षा रखना, राह | शत्र भय देखाती, उत्साह घटाती, धन एवं धर्म देखना। बिगाड़तो, शारीरिक पौड़ा उपजाती और मोह तथा इन्तिहा (अ. स्त्री० ) अत्यन्तता, परमावधि, अखौर, | विरुद्ध चेष्टा लगाती है। मुथहाके मृत्यस्थ होनेसे किनारा, छोर। शत्रु तथा चोरका भय लगता, धर्म एवं अर्थ घटता, इन्थिहा-ताजको मुथहा। इसका आनयन प्रकारादि अत्यन्त शोक उपजता, पोड़ाका प्रभाव बढ़ता, सैन्य नीलकण्ठ-ताजकमें लिखा है-मुथहा अपने-अपने विगड़ता और दूरदेश जाना पड़ता है। भाग्यगत जन्म लग्नसे प्रतिवत्सर क्रमशः एक-एक स्थान भोग होनेसे यह प्रभुत्व बढ़ाती, धनोपार्जन कराती, राजाके करती है। सूर्य तष्टगत एवं शरदयुक्त हो स्व-ख | निकट आनन्द उठाती, स्त्रीपुत्र सुखलाभ देतो,
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।