उपनिवेश ३१६ धीरे-धीरे लुप्त होने लगा। प्रायः ५३ ई० पूर्वाव्दमें | चैत्यमें इसका बहुतसा निदर्शन मिला, कि एक काल बणिक पति कुन्तिएन ( कुण्डिन?) सदल चीनबन्दरमें वहां भी हिन्दुवोंने जा वास किया था। आज भी जा उत्सर। इन्हीं महात्माने चीन समुद्रके कूलपर बौद्ध मन्दिरों में रामलीला अङ्कित है। श्यामदेशको कम्बोज वा वर्तमान कम्बोडिया नामक स्थान में हिन्द राजधानी के बीच प्रसिद्ध गौतमबुद्धवाले मन्दिरके पार्श्वमें राजवंश प्रतिष्ठित किया था। कम्योज देखो। तौन हिन्दुवोंके देवालय देख पड़ते हैं। इन तीनों __कम्बोजमें हिन्दू राजवशको प्रतिष्ठाके साथ दोन मन्दिरौमें हरपार्वती, लक्ष्मी, विष्णु, ब्रह्मा प्रकृति देव- वासियों द्वारा उत्ताल आर्य बणिक दलदल में काम्बोज राणसी मूतियां प्रतिष्ठित हैं। एक मन्दिरमें प्रकाण्ड पाये। इसीसे अतःपर चीना इतिहास में भारतीय शिवमूर्ति है। वह छः हायसे भी ज्यादा ऊंची है।* वणिकगणका कोई सन्धान नहीं मिलता। कस्बोज एका मन्दिर में केवल गणेशको ही पूजा होती है। जातिवाले कहते-रोम देशके अन्तर्गत तक्षशिला यहांका बटनाक नागमन्दिर भी अतिप्रसिद्ध है। नामक स्थानसे प्रतिनिकट एक धार्मिक राजा, इस मन्दिर में कभी-कभी दो-एक हिन्द्र पण्डे देख पड़ते, राजख करते थे। उनके पुत्व युवराज जो सकल ही शैव ब्राह्मण हैं। वे किसी निकटस्थ किसी टुष्कर्म पर राज्यले निर्वासित हुये। उन्होंने ग्राममें रहते हैं। वे बताते-हमारे पूर्वपुरुष रामे- नाना स्थान घमफिर इस स्थानमें पहुंच न तन राजा श्वरसे यहां आये थे। वाम देशको राजसभामें दो- स्थापन किया।* एक दैवज्ञ हिन्दू अवस्थान करते हैं। उनके पूर्व- ____ अतएव उक्त प्रवादसे समझ पड़ा, प्राचीन हिन्दू- पुरुष १४०६ ई० में भारतवर्ष से श्याम गये थे। वोंका तक्षशिलाके निकटवर्ती जिस स्थानले उक्त इसका कितना ही प्रमाण मिला, कि पूर्व-उप- स्वानको गमन हुआ, उसका नाम भी कम्बोज हीपको छोड़ भारतमहासागरीय द्वीपपुञ्ज-यहांतक, रहा। वे इस दूरदेशमें पाकर भी जन्मभूमिको। कि सेलिविश होयमें भी हिन्दवोंका उपनिवेश हो भूल न सके थे। इसोले खदेश और स्वजातिके नाम गया था। पर ही उन्होंने इस स्थानका नाम कम्बोज रखा। इस इस स्थलपर सिंहल द्वीपमें हिन्दुवों के उपनिवेश स्थानसे निकली शिलालिपि ५१६ ई. तक कालका सम्बन्धको दो-एक बात कहना आवश्यक है। "उल्लेख मिला है। इससे अनुमान हुआ, कि कम्बोज महाभारतके समय यहां सिंहल नामक असभ्य निवासी हिन्दवोंने ई. पहले पञ्चम शताब्दीकी बहु पूर्व जातिके लोग रहते थे। उसी प्राचीन कालमें इस उस स्थानपर उपनिवेश स्थापन किया था इस होपसे मणिमुक्ता भारतवर्ष को भेजे गये। ( महाभारत समय यहां हिन्दुवोंके न रहते अथवा उनके भिन्न सभा ५१ अ०) उसके परवर्तिकालमें इस स्थानपर धर्मको अबलम्बन करते भी आज असंख्य शिव, भारतवासियोंके आते-जाते भी कोई सविशेष प्रमाण विष्णु, हरिहर, पार्वती, ब्रह्मा और शेषनागके प्राचीन नहीं मिला, कि उन्होंने वहां उपनिवेश स्थापन मन्दिर विद्यमान हैं। उनमें अोहरथोमके चतसंख किया। महावंश नामक पालि ग्रन्थ में लिखते-वत. ब्रह्माका मन्दिर अति चमत्कृत है। देशके लाड़ (राढ़ ) राज्यमें सिंहबाहु नामक एक ___ कम्बोजके निकट ही श्यामदेश है। यहांके सभी प्रजावत्सल राजा रहते थे। उनके जाष्ठ पुत्र विजय लोग बौद्ध धर्मावलम्बी हैं। किन्तु मन्दिर और किसी गुरुतर अपराधपर खदेशसे चिरदिनके लिये निर्वासित हुये। वङ्गराजकुमारने कतिपय बन्धु
- Die Volker der Oesrtrichen Asien, Von Dr. A.I
- Crawfurd's Embassy to the Courts of Siam and
Bastian, p. 393. . .. Cochin China, p. 119. + Journ, Anthropological Society of Bombay,Vol.I.P.5161 Crawiurd's History of Celebes, Vol. II. p. 882.