उपदंश-उपदका होइजिराई परक्रोराडम् ग्रेन मिला देते हैं। यह औषध ३ दिन खिलाना चाहिये। नसोदर ... ... ५, पथ्य मिसरी है। हौंग, माजफल, अकरकरहा,नागोड़ी, पोटास प्रायोडाइड ... ४०, असगंध, सफेद और काली मूसल तथा छोटी गुखुरीको जल ड्राम बुकनी, जङ्गली बैरको लकडोसे जलाकर हफ़्तभर एक्सटाक सार्जी लिक्विडियम ... १ योन्स जखमोंपर वां देना चाहिये। इससे उपदंशका डिकक्सन सालसा ... ३२ , सूल तक नष्ट हो जाता है। उपदंश पुरातन होनेसे सब औषध मिलाकर १ औन्स मात्रासे दिवसमें | शिरीष, बबूल और नोमकी छाल सवा-सवा सेर पौने ३ बार सेव्य है। सार्वाङ्गिक उपदंश निकलते समय छः सेर जन्नमें पका चार सेर जल रहने पर उतार ले। किञ्चित् ज्वर आ जाता है। इसीसे मृदुविरेचक फीवर प्रत्यह आध पाव मात्राले सेवन करनेपर पुरातन उप- मिक्सचर, सेलाइन मिक्सचर, और प्रदाह नाशक औषध दंश निश्चय ही आरोग्य होता है। व्यवहार करे। लक्षणादि सम्पर्ण रहने से किसी-किसी उपदंशक्षम (सं० पु०) शिशुवृक्ष, एक पेड़। स्थलपर रोगी अत्यन्त दुर्बल हो जाता है। ऐसे स्थल पर उपदंशिन् ( त्रि.) उपदंशका रोगी, पातशकका बलकर आहार खिलाना चाहिये। बार्क कुनैन, बीमार। सालमापरिल्ला, लौहघटित औषध प्रभृति प्रयोग करते | उपदग्ध (स० वि०) ईषदग्ध, थोड़ा जला हुआ। हैं। कौलिक उपदंशमें अनन्तमूलका क्वाथ (डिकशन) उपदधि (संत्रि०) ऊपर रखनेवाला, जो रख दिन में ३ बार पिलाये। शरीरपर क्षत पड़नेसे केलो- देता हो। मेल आयण्टमेण्ट और सेटिन आयेण्टमेण्ट लगाते हैं। उपदन्त (सपु०) कुस्तुम्बरु, हरी धनिया। - होमियोपाथोके मतसे पारदके व्यवहारमें कोई उपदर्शक ( पु.) उप-दृश-णिच-खल । १ हार- क्षति पाने की प्राशङ्का नहीं। उससे सत्वर और निर्विघ्न पाल, दरवान। (त्रि.) २ दर्शक, देखनेवाले । अनेक लोग अच्छे हो गये हैं। प्राथमिक अवस्थाके उप ३साक्षी, गवाह। दंशमें मार्कसल,मार्क-कर और सिनावार द्वारा ही उप | उपदल (सं० क्लो०) पुष्पदल, फूलको पत्तो । कार पहुंचता है। किसी प्रकार पहले पारद ले लेनेसे उपदश (संत्रि०) प्रायः दश, कोई दस । नाइटिक एसिड या हिपार सलफर व्यवहार करना उपदा (वै० स्त्री०) उप-दा-अङ्। १ उत्कोच, चाहिये। क्षतपर लोरेट हाइड्रड और लोरेट प्रव रिशवत। २ उपढौकन; भेंट। पोटासका चूर्ण लगाते हैं। द्वितीय अवस्थामें एसिड नाइ “प्रत्ययं पूजामुपदाच्चलेन।" (रघु ४ कालो क्लोरिकम,काली हाइड्रोबायोडिकम, (त्रि.)३ उपढौकन देनेवाला, जो भेट देता हो। हिपार और सार्जा चलता है। तीय अवस्थामें परम 'उपदी उपदानदातारम्।' (शुक्लयजुर्भाचे महीधर ) म्यरोटिकम्, एसिड फसफरस,एसाफेटिडा,कालकेरिया, | उपदान, उपदानक देखो। काली हाइड्रो, फस और चायना काझे उपयोगी है। उपदानक (सं. लो. ) उपदान स्वार्धे कन्। कौलिक उपदंशपर उपरोक्त औषधमें लक्षणानुसार १ उत्कोच, रिशवत। २ उपढोकन, भेट । कोई एक खिलानसे विशेष उपकार देख पड़ता है। उपदानवो (सं० स्त्री०) वृषपर्वा और पुलोमाकी ___ हकीमी मतसे भातशकको बीमारी होने पर पहले | कन्या। इनके गर्भसे दुमन्त, सुष्मन्त, प्रवोर के यह दवा दी जाती है-गोपालफल ३ मासे, मुनक्का घने जन्म लिया था। हरिवंश ३ और ३२ १०) सात, सौंफ, मासे, सोनामुखीका पत्ता २ मासे और उपदिक् (सं. स्त्रगे) १उपदिशा, दो दिशाके सूखी बढ़न्ता मासे एकत्र मिला भुनाये। एकबार बीचको दिया। (अव्य.) २ उपदिशामें । फट जानेसे नीचे उतार लेते और एक तोले गुलकन्द | उपदिका (सं० स्त्री०) उप-दो-डोष् स्वाथै कन्-
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३०८
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।