उत्सादन-उत्सुक २२५ उत सादन, ( स. क्लो. ) उत -सद-णिच्-ल्य ट। | उत् सारित (स'• त्रि०) उत-स-णिच्-क्व । १ दूरी- १उत सारण, सरकाव। २ स्थानान्तरकरण, दूसरी कृत, हटाया हुआ ।. २ चालित, . सरकाया जगह हटा देनेका काम। ( कात्यायन-श्रोतस्त्र १४।१।१०) हुआ। ३ स्थानान्तरित, दूसरी जगह पहुंचाया ३ उहतन, उठाव। तैलादि द्वारा परिशोधनको हुआ। . उत सादन कहते हैं। ४ विनाशन, बरबादी। ५ उन्म - उत साह (स'. पु०) उत-सह-धज । १ उद्यम, लन, उखाड़। (भारत, वन १०२ अ०) ६. महावीरादि कोशिश । २ अध्यवसाय, इस्तकलाल। ३ स्थिर- परित्यक्त देश, बहादुरोंका छोड़ा हुआ मुल्क। यत्न, पक्की तदबीर । ४. वीररसका स्थायी भाव, ७ उत सव, जलसा। ८ समुल्लेखन, खिंचाव । ८ निम्न हिम्मत, हौसला। "उत्तमप्रवतिरि उत्साहः स्थायिभावकः।" व्रणका उन्नतीकरण, नीचे जखमको उभारनेका (साहित्यदर्पण) ५ राजाका गुणविशेष, बादशाहका एक काम। १० क्षेत्रका सम्यक् कर्षण, खेतको खासी वस्फ। “चारणोत्साहयोगेन क्रिययैव च क्रयाम् ।" (मनु सर९८) जोताई। ११ ते लाभ्यङ्ग द्वारा शुद्धीकरण, तेल लगा | ६ कल्याण, भला। ७ सूत्र, धागा। ८ हर्ष, खुशी। सफाई करने का काम। ८ संरम्भ, शुरू। १० सङ्गीतशास्त्रोक्त ध्रुवक विशेष । उत सादनीय (सं० त्रि०) १ नष्ट किया जाने इसका लक्षण हास्यरस, केन्टुकताल और वंशवधिकर वाला, जो बरबाद किये जाने के काबिल हो। २ पर्ण त्रयोदशाक्षर पाद है। .. . करने योग्य, अल्जाम देने लायक़। ३ चढ़ा जाने उत साहयुक्त (सं० पु.) शरभ, हुमा। . योग्य । (लो०) ४ ब्रणौषध विशेष, जखमपर लमा- उत साहवत् ( त्रि.) उद्यमी, दृढ़, हौसलेमन्द। नेकी एक दवा। इससे घाव भर पाता है। उत्साहवर्धन (सं० लो०) उत्साह-वृध्-त्य ट। उत सादि (सं० पु.) उत् स-आदि। उत्सादिभ्योऽन् । १ उद्यमवृद्धि, हौसलेमन्दी। - २ वीरत्व, बहादुरी। पा ४१८५। पाणिनिका कहा एक गण। इसमें निम्न- उत साहसम्पन्न (सं.वि.) कायरत, हौसलेमन्द, लिखित शब्द पड़ते हैं-उत स, उदपान, विकर, काममें लगा रहनेवाला। विनद, महानद, महानस, महाप्राण, तरुण, तलुन, उत्साहन (सं० ली.) चेष्टा, दृढ़ता, कोशिश, सन। पृथिवी, धेनु, पंक्ति, जगतो, त्रिष्टुप , अनुष्टुप , जनपद, उत् साहिन् (सं० त्रि०) उत साह रखनेवाला, भरत, उशीनर, ग्रीष्म, पौलुकुण, पृषदंश, भल्ल कीय, | हौसलेमन्द। . रथन्तर, मध्यन्दिन, वृहत्, महत , सत्वत्, कुरु, पञ्चाल, | उत्साही (सं० पु०) भक्तरोगी, खानेका बीमार। इन्द्रावसान, उष्णिह, ककुभ, सुवर्ण, देव। उत् सिंइन (सं० लो०) नासा द्वारा ऊर्ध्व खासका उत्सादित (सं० त्रि.) उत्-सद-णिच-क्त ।१ उन्म - धारण, नाकसे ऊपरौ सांसको रोक। लित, उखाड़ा हुआ। २ उद्दतित, ऊपरको उठाया उत सिक्त (सं० त्रि०) उत-सिच्-त। १ गर्वित, हुआ। ३ परिष्कृत, साफ किया हुआ। मगरूर, घमण्डी। २ वर्धित, बढ़ा हुआ। ३ उद्रिक्त, उत्सादितव्य (सं० त्रि.) नष्ट किये जाने योग्य. | फेंका या खाली किया हुआ। ४ उगत, चढ़ा या जो बरबाद किये जानेके काबिल हो। उठा हुआ। ५ प्लावित, डूबा हुआ। उत सारक (सं० पु०) उत-सृ-णिच्-रख ल । १ हार- उत्सिच्यमान (सं० त्रि.) १ जलकी झड़ी लगानेवाला, पाल, दरवान् । २ प्रहरी, चौकीदार। (त्रि.) जो पानी बरसाता हो। २ वृदिशौल, बेढ़नेवाला। ३. अपसारक, हटानेवाला। उतसिसृक्षु (सं० त्रि०) उत्पन्न करनेका अभिलाषी, उत् सारण ( स० क्ली. ) उत-स-णिच् ल्य ट् । १ दूरी- जो बनाना चाहता हो। : : करण, हटा देनेका काम। २ अतिथिका स्वागत, | उत मुक (स• त्रि०) उत-म-क्किप कन् । १ इच्छुक, मेहमान्को पेशवाई। . . खाहिशमन्द, चाहनेवाला । . २ उत्कण्ठित, जिसे Vol III. 57
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२२६
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