उत्तमाय-उत्तरकुरु २०७ उत्तमाध्य (सं० वि०) अन्तिम वा उतकृष्ट अर्धे । १४ विराटराजके पुत्र। कौरवगणने जब विराट- सम्बन्धीय, आख़िरी या उम्दा अडेसे ताल्लक रखनेवाला। राजके गो चुराये, तब ये अर्जुनको सारथी बना उत्तमाह ( स० पु०) अन्तिम दिवस, आखिरी या लड़नेको आये थे। १५ नागराज विशेष। १६ पर्वत- उम्दा दिन। विशेष, एक पहाड़। (त्रि.) १७ अर्ब, ऊंचा, बड़ा। उत्तमोय ( सं० त्रि. ) प्रधान, उत्कृष्ट, उम्दा, १८ उत्तरीय, शिमाली। १८ प्रधान, श्रेष्ठ, खास, सबसे ऊंचा। बढ़िया। २० वाम, बायां। २१ निम्नग, नोचे पड़ने- उत्तमोत्तम (संत्रि.) उत्कृष्ट से उत्कृष्ट, उम्दासे वाला । २२ अधिक उत्तम, ज्यादा अच्छ।। २३ अनन्तर उम्दा, जो सबसे अच्छा हो। पिछला। ( अन्य०) २४ फलतः, अखोरको। उत्तमोपपद (सं० त्रि.) सर्वोत्तम, उतकृष्ट, जिसके उत्तरकाण्ड (सं० लो०) १ पुस्तकका शेषांश, लिये सबसे अच्छी बात कही जा सके । आखिरी किताब। २ रामायणका अन्तिम काण्ड उत्तमौजस् (सं० पु०) १ दशम मनुपुत्रभेद । वा पुस्तक । २ एकजन महावीर। इन्होंने कुरुक्षेत्रमें पाण्डवोंके उत्तरकाय (सं० पु.) शरीरका अर्ध्व भाग, जिस्म का पक्षमें रह युद्ध किया था। (भारत) ऊपरी हिस्सा। उत्तम्भ (सं० पु.). उत्-स्तन्भ-घञ्। १ स्त उत्तरकाल (स० पु.) १ भविष्यत् काल, पानवाला भाव, रोक रखनेको हालत। २ निवृत्ति, छ वक्त। २ गौणकाल, छोटा जमाना । ३ अवलम्ब, सहारा। उत्तरकाशी (सं० स्त्रो०) पुण्यस्थान विशेष, एक जगह। उत्तम्भन (सं० लो०) उत्त-स्तन्भ-लुयट । १ पव. यह हरिहारसे उत्तर लगती और बदरीनारायणको लम्बन, गिरफ्त, पकड़, टेक। २ मेख, खटा। । राहमें पड़ती है। उत्तम्भित (सं० त्रि०) १ सधा या टिका हुआ। उत्तरकुरु (स० पु०) जम्बूद्दीपका वर्षविशेष, कुरुवर्ष। २ रोका या पकड़ा गया। ३ उत्तान, खड़ा, सीधा। उत्तरकुरुके सम्बन्धमें अनेक मतभेद है। अध्या- उत्तम्भितव्य (सं०वि०) पकड़ा या रोका जानेवाला। पक लासेनके कथनानुसार यह जनपद तिब्बतमें उत्तर (सं० लो०) उत्-त-अप, उत्-तरप वा। ब्रह्मपुत्र नदके उभय तौर रहा। (Kart von Alt In- १ प्रतिवाक्य, जवाब। “प्रत्रोद्यपि या पृच्छा तस्य खण्डन- | dien) विलफोर्ड हिमालयके सानुदेशमें इसे तिब्बतका मुत्तरम्।” (याज्ञवल्का) २ दोषभजन वाक्य, ऐब मिटाने एक नगर समझते हैं। (Asiatic Researches, Vol. वाली बात। ३ जिज्ञासित विषयमें अपने मतका ix, p. 63. 67, xiv. 387) भोगोलिक सेण्टमार्टिन प्रकाश, पूछो जानेवाली बातपर अपने खयालका उत्तरकुरुका अस्तित्व नहीं मानते। उनके मतसे यह इजहार। किसीके आह्वान करने पर तत् श्रवण एक कल्पित स्वर्ग है। ( Etude sur la Geographie सूचक वाक्य, किसौके पुकारने पर उसके सुन लेनेको Grecque et Latine de'l Inde, 413-414) किन्तु बात । ५ उपरि तलका आवरण, ऊपरी सतह या| निम्नलिखित प्रमाण देखनेसे सहजमें हो समझ ढक्कन। ६ दिक विशेष, दक्षिणके सामनेको दिशा। ७ निम्न संस्था, मिली हुई चीजका आखिरी हिस्सा। " के च परेण हिमवन्त' जनपदा उत्तरकुरुव उत्तरमद्रा इति।". ८ व्यवस्थाके अनुसार प्रतिवचन, कानून्में हद जवाब । (ऐतरेयब्राह्मण ८१४) .८ मीमांसानुसार पधिकरणका चतुर्थ अंश, हालतका | “उत्तरांच कुरुन् पश्यन् पश्यश्चैव नगोत्तमान् । चौथा टुकड़ा। १० उत्कृष्टता, अजमत, बड़ाई। देवदानवसङ्घ श्च सेवित ह्यमृतार्थ भि: ॥” (रामायण परण्य ३६१८) .११ फल, नतीजा, गणितमें शेष, बाकी फक । महाभारतके अनुसार सुमेरुसे उत्तर नीलपर्वतके १२ गीत विशेष, एक गाना। (पु.) १३ शिव।। दक्षिण पार्श्व पर उत्तरकुरु अवस्थित है। (भौम ५५० )
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२०८
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