उतङ्कमेघ-उतरना १८ भी उन्होंने स्नेहप्रयुक्त उतङ्कको न छोड़ा। ये भी उतपन्न (हिं० वि०) उत्पन्न, पैदा। गुरुभक्तिमें ग्राहको कथा भूल गये थे। प्रायः शत वत्सर उतपात (हिं. पु०) उत्पात, झगड़ा। इसीतरह बीते। एकदिन उतङ्क दूर वनसे काष्ठ उतपानना (हिं.क्रि.) १ उत्पन्न करना, उपजाना। भार उठा लानपर क्लान्त हो गये ; इसलिये शोन! २ उतपन्न होना. उपजना। शीघ्र आश्रमके निकट पहुंच जैसे ही फेंकने लगे, उतमङ्ग (हिं० पु०) उत्तमाङ्ग, मस्तक, मुख, मत्था, वैसे ही उसके साथ साथ कुछ केश भी टूट पड़े। उतङ्क मुंह। टटे कैश देख रोने लगे थे। गौतमने आकर रोनेका उतरंग (हिं. पु०) उत्तरङ्ग, दरवाजे के ढांचेपर कारण पूछा। इन्होंने आंसू बहाते बहाते कहा- रखी जानेवाली लकड़ीकी मेहराब । 'मेरे बाल पक गये हैं। मैं यहीं वृद्ध बना इं। उतर (हिं० पु०) उत्तर, जवाब । तथापि आपने मुझे घर जाने न दिया।' गौतम "उतर दैत छाडेर विनु मारे । बोले-'तुम्हें मैं बहुत चाहता और तुम्हारी शुश्रुषासे केवल कौशिक शौल तुम्हार॥” (तुलसी) अत्यन्त सुख पाता है। इसीसे तुम्हें छोड़ नहीं सकता। उतरन (हिं. स्त्री०) १ जर्जरीभूत वस्त्र, जो कपड़ा अब मैं प्रासादसे गृह जानेको आज्ञा देता हूं। फिर पहनते-पहनते बिगड़ गया हो। २ उत्तरङ्ग, उतरंग। गौतमने अपनी कन्धाके साथ उतङ्कको व्याहा था। ३ गुल्म विशेष, एक झाड़। इसे बङ्गालमें चगुलपती (भारत पाश्वमेधिक) और सिंहलमें कानकुम्बल कहते हैं। उतरनमें सूत्र (हिं० वि०) ३ उन्नत, ऊंचा। बहुत रहता है। आकार दोघे है। दक्षिणापथके उतङ्कमेघ (सं० पु०) मेघ विशेष, किसी किस्मका कोकणसे दक्षिण त्रिवाकोड़ और सिंहलमें उतरन बादल। 'उपजती तथा कहीं कहीं बङ्गालमें भी देख पड़ती उतङ्ग (हिं० वि०) १ उत्तङ्ग, बुलन्द, ऊंचा। २ उच्च, है। सिंहलवासी इसके पत्रका शाक बनाकर खाते ऊंचे दरजावाला, बड़ा। हैं। इसका दुग्धवत् रस सान्द्र होता है। उतथ्य (स० पु०) मुनि विशेष। महर्षि अङ्गिराके उतरन-पुतरन (हिं॰ स्त्री०) जर्जरीभूत वस्त्र, फटा- औरस और उनकी पत्नी श्रद्धाके गर्भसे इनका जन्म है। पुराना कपड़ा। ये वृहस्पतिके ज्येष्ठनाता लगते हैं। इन्होंने ममतासे उतरन होना (हिं० क्रि०) ऋण अथवा उपकारसे विवाह किया था। उनके गर्भसे दीर्घतमा नामक मुक्तिपाना, कज या एहसान्से छूटना। एक पुत्र हुआ। दीर्घतमा देखो। उतरना (हिं.क्रि.) १ अवतरण करना, नाज़िल उतथ्यतनय (संपु०) उतथ्य के पुत्र गौतम । होना, नीचे आना। "आसमानसे उतरा खज रमें अटका।" उतथ्यानुज (सं० पु०) उत्तथ्यके कनिष्ठ माता। (लोकोक्ति) २ निगलित होना, निगला जाना। "उतरा बृहस्पति । घाटी हुआ माटौ।" ( लोकोक्ति) ३ उत्पन्न होना, उपजना। उतथ्यानुजन्मन्, उतत्थानुज देखो। "जितनी लेकर उतरा था उतना ही जिया।" (लोकोक्ति ) उतन (हिं.क्रि.वि.) तत्र, वहां, उस तफ, उधर । प्रवेश करना, घुसना। ५ पार होना, लांघना। उतना (हिं. वि०) १ तत्परिमाणविशिष्ट, उस ६ निःसृत होना, निकलना, आना। ७ न्यून पड़ना, मिकदारवाला, उसकी बराबर। (क्रि.वि.) २ उस घटना। ८ घिस जाना, बिगड़ना। वृद्ध होना, परिमाणपर, उस मिकदारमें। बुढ़ाना। १० मलिन पड़ना, कुम्हलाना। ११ समाप्त उतना (हिं० पु०) कर्णिकाविशेष, कानमें पहनी होना, खातिभे पर पहुंचना। १२ स्थानच्युत होना, जानेवाली एक बालो। यह कर्ण के उपरि भागपर जगह छोड़ना। १३ अपमानित होना, बेइज्जत बनना। रहता हैं। ... ....... .., "उतर गयो लोई तो क्या करेगा कोई।" (लोकोक्ति): ___Vol III. 48
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