उच्चभुजतरु-उच्छिन्न “यदुचर्घोषस्तनयन्वववाकुर्वन्निव दहति।" (ऐतरेयवादाण २४) । उच्छलित (सं.वि.) उत्-शल का उत्क्षिप्त, उचित, उच्चभुजतर ( स० वि०) वृक्षको विस्तारित बाहुकी उकला इमा, जो ऊपर उड़ गया हो। भांति रखनेवाला, जो फैले पड़ोंको बाज की तरह । तरह उच्छव (हिं०) उत्सव देखो। रखता हो। उच्छादन (सं.लो.) उच्छाद्यते मलोऽनेन, उत- उच्चैस, उच्चै: देखो। छद-णिच्-ल्य ट। १गन्धद्रव्य द्वारा शरीर माजन, उच्चैस्तम (सं० वि०) १ अत्यन्त उन्नत, निहायत खशबुदार चीजसे जिस्मकी सफाई। २ आच्छादन, बुलन्द, बहुत ऊंचा। २ अत्यन्त उन्नत स्वरविशिष्ट, छिपाव, ढंकाई। 'बहुत ऊंची अावाजवाला। | उच्छाद्य (सं० अव्य.) उतारकर, कपड़े खोलकर। उच्चस्तमाम् (सं० अव्य) १ अत्यन्त उन्नत रूपसे, उच्छाल-एक प्राचीन जनपद, गौड़के मध्य अवस्थित । बहुत ऊंचे। २ उन्नत स्थानपर, बुलन्दोके पर। उच्छास (हिं.) उच्छास देखो। ३ उन्नत खरसे, बलन्द पावाज़के साथ। | उच्छास्त्र (सं० त्रि.) उत् उत्क्रान्त शास्त्रम् । शास्त्र- उच्चस्तर (सं० वि०) १ अपेक्षाकृत उन्नत, ज्यादा विरुद्ध, जो शास्त्रसे मिलता न हो। ऊंचा। २ अधिक खराघातयुक्त, जो ज्यादा ऊंची उच्छास्त्रवतिन् (सं० वि०) शास्त्रोल्लङ्घनकारी, शास्त्रको आवाज़से बोला जाता हो। मर्यादाको उल्लङ्घन करनेवाला। उच्चस्तरख (सं० ली.) अधिक उबत होनेको स्थिति, "न राज्ञः प्रतिग्टडीयाल्ल खस्योच्छास्त्रवर्तिनः ॥” ( याचवल्का ११४०) ज्यादा ऊंचा होनेकी हालत। उच्छाह (हिं.) उत्साह देखो। उच्चस्त्व (सं० लो०) उच्चता, बुलन्दी, उचाई। उळिख (सं० त्रि.) उबता शिखा यस्य, प्रादि. उच्छ-१ तुदा० इदित्० पर० सक० सेट् । यह बहुव्री। उन्नत-शिखा, चोटी ऊपरको उठाये हुआ। धान्यकणा ग्रहणका अर्थ रखता है। २ तुदा० पर० २ ज्वाला ऊपरको लगाये हुआ, जो लपटको नोक सक० सेट् । इससे वन्ध, समागम, अतिक्रस और ऊपरको निकाले हो। ३ ज्वलन्त, भभकनेवाला। त्यागका अर्थ निकलता है। ३ द्यतिमान, चमकोला। “माङ्गल्योवलयिनि पुरः पाव- उच्छन्न (सं० त्रि.) उत्-छद्-क्त । नष्ट, बरबाद, कस्योच्छिखस्य ।" (रघु १७।१७) (पु.) ४ उन्नत शिखा- उजड़ा। विशिष्ट एक नाग। (भारत पादि) उच्कन्वसन्धि (सं. स्त्री०) सन्धि विशेष, एक सुलह । उच्छिन्न (सं० लो०) नस्यको भांति नासिका हारा उत्तम राज्य लेने के बाद किसी राजाके साथ होनेवाली किसी वस्तुको वासके साथ खोंचनेका कार्य, खुरराटे सन्धिको उच्छन्नसन्धि कहते हैं। मारनेको हालत। इसे उच्चिङ्कन भी लिखते हैं। उच्छय (सं० लो०) त्रिकोण का पश्चात् पद, मुसल्लसके _. “विध्यते योऽन्य पाव ऽच्यास्त'रुध्वा नासिकापुटम् । • पौछेका कदम। ___ उच्छिश्नेन हर्तव्यो दृष्टिमण्डलजः कफः ॥” (सश्चत उत्तर १७१०) उच्छरना, उछलना देखो। उच्छित (सं० त्रि०) उत्-शि-त। रुद, रुका या उच्छल (सं० वि०) उत्-शल-अच् । आधार अति घिरा हुआ। क्रमकर जल को प्लावित होनेवाला, जो अपनी जगह | उच्छिति (सं० स्त्री०) उत्-छिद् भावे तिन् । उच्छेद, छोड़ ऊपरको उड़ता हो। विनाश, बरबादी। उच्छलत् (सं• त्रि०) १ अपर या दूर उड़नेवाला। | उच्छिद्य (सं० अव्य.) विनाश करके, काट या २ सामना करनेवाला। मारकर। उच्छलन (सं० लो०) ऊपरका उड़ना, उछाल । | उच्छिन्न (सं० वि०) उत्-छिद-त । १ समूल उत्- उच्छलना, उछलना देखो। | पाटित, तोड़ा या उखाड़ा हुमा। २ नीच, कमीना।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१६४
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