धर्म, दिलका ज़ाबिता। २ वाञ्छा, ख़ाहिश, चाह। ३ स्पृहा, लालच। ४ उत्साह, हौसला। सत् और असत् भेद से इच्छा दो प्रकार होती है। दानध्यानादिकी सत् और मद्यपान चौर्यादि की इच्छा असत् है। आत्मा से इच्छा, इच्छासे कृति, कृतिसे चेष्टा और चेष्टासे क्रिया निकलती है।(न्यायसिद्धान्त)
इच्छाकृत (सं० त्रि०) इच्छया कृतम्, ३-तत्। अभिलाष से किया हुआ, जो ख़ाहिशसे किया गया हो।
इच्छादान (सं० क्ली०) अभिलाषोपहार, ख़ाहिशकी बख़शिश, मुंहमांगी या मनमानी चीज़का देना।
इच्छानिमित्तक (सं० त्रि०) इच्छा इव निमित्तं यस्य, बहुब्री०। अभिलाष के कारण होनेवाला, जो ख़ाहिश के सबब हो। मनुष्य अपनी इच्छा के निमित्त ही चोर या साधु बन जाता है।
इच्छानिवृत्ति (सं० स्त्री०) इच्छायाः निवृत्तिः, ६-तत्। वाञ्छा का दमन, ख़ाहिश का इख़फ़ा, चाहका दबाव। इच्छानिवृत्ति से ही प्रकृत आनन्द आता है।
इच्छानुगत (सं० त्रि०) इच्छाया अनुगतम्, ६-तत्। स्वतन्त्र, आज़ाद, मनमाना, ख़ाहिशके मुवाफ़िक़ रहनेवाला।
इच्छानुरूप (सं० त्रि०) इच्छाया वा इच्छया अनुरूपम्, ६-तत् वा ३-तत्। इच्छामत यथासाध्य, मर्ज़ी के मुवाफिक़।
इच्छानुसारिणी क्रियाशक्ति (सं० स्त्री०) अभिलाष के अनुरूप कार्य करनेका बल, मर्ज़ी के मुवाफ़िक़, काम करने की ताकत। जैनशास्त्र के मतानुसार यह शक्ति योगसे प्राप्त होती है। योगी अपनी इच्छा के अनुसार बिना कारण कार्य सम्पादन कर सकता है। मट्टी न रहते भी घड़ा बनता और बीज न पड़ते भी पेड़ उगता है।
इच्छान्वित (सं० त्रि०) इच्छायुक्त, ख़ाहिशमन्द चाहनेवाला।
इच्छाफल (सं० क्ली०) इच्छायाः फलम्, ६-तत्। इच्छाका परिणाम वा उद्देश्य, ख़ाहिशका नतीजा या मक़सद। गणितमें प्रश्नकी उपपत्ति को इच्छाफल कहते है।
इच्छावत् इच्छाम्वित देखो।
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इच्छाभेदीरस (सं० पु०) भेदक रस विशेष, जुलाबीक एक दवा। टङ्कण, पारद, मरिच तथा गन्धक बराबर, विश्वा द्विगुण और जयपालचूर्ण नवगुण डालनेसे इच्छाभेदी रस बनता है। एक गुञ्जाके बराबर यह रस खानेसे रेचन होता है। (रसेन्द्रसारसंग्रह)
इच्छाभेदोगुड़िका (सं० स्त्री०) भेदक रसभेद, जुलाबकी दवा। पारद, गन्धक, सोहागा तथा पिप्पली समान एवं सबके बराबर जयपालचूर्ण मिलानेसे यह गोली बनती और शीतल जलके साथ खाने से खासा दस्त लाती है। किन्तु उष्ण जल के साथ इच्छाभेदोगुड़िका सेवन करनेसे दस्त बन्द हो जाता है। (रसेन्द्रसारसंग्रह)
इच्छाभोजन (सं० क्ली०) १ इच्छानुरूप अदन, मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ खवायी। २ इच्छानुरूप खाद्य, म्रर्ज़ी के मुवाफ़िक़, खाने की चीज़।
इच्छावती (सं० स्त्री०) इच्छा विद्यतेऽस्याः, इच्छामतुप् मस्य वः। कामुकी, दौलत वग़ैरहकी ख़ाहिश रखनेवाली औरत।
इच्छावसु (सं० पु०) इच्छया एव वसु धनोत्पत्तिर्यस्य, बहुब्री०। कुबेर।
इच्छासम्पदु (सं० स्त्री०) वाञ्छासिद्धि, ख़ाहिशकी तहसील।
इच्छित (सं० त्रि०) इच्छा अस्य जाता, इतच्। तदस्य सञ्जातं तारकादिभ्य इतच् । पा ५।२।३६। वाञ्छित, कामना किया हुआ, जो चाहा गया हो।
इच्छु (सं० त्रि०) इच्छतीति, इष-उ निपातनम्। विन्दुरिच्छु:। पा ३।२।१६९। १ इच्छाशील, ख़ाहिशमन्द, चाहनेवाला। (हिं० पु०) २ इक्षु, ऊख।
इच्छुक (सं० त्रि०) इच्छु स्वार्थे कन्। १ इच्छाशील, ख़ाहिशमन्द। (पु०) २ मातुलुङ्ग वृक्ष, बिजौरे नीबूका पेड़।
इच्छुरस (हिं० पु०) इक्षुरस, ऊखका अर्क़।
इछाखादा-बङ्गाल प्रान्तके यशोर ज़िलेका एक ग्राम। यह मागुरा से पश्चिम दो कोस पड़ता है। पहले नवाब की यहां छोटी सी छावनी रही। आजकल इछाखादे में सड़क की बग़ल बाजार लगता और गुड़, आलू तथा अनन्नास ख़ूब बिकता है।
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