पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१४८

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ईसाई . १४७ "गये थे। उस समय म चार्लस फान्सके अधिपति । मुखमें मूत मारा। किसीका हाथ-पैर और किसीका 'थे। उनकी भगिनीसे नेभारके राजाका विवाह । नाककान काटा था। इसप्रकार निग्रहीत शत शत होनेवाला था। सैकड़ों प्रोटेष्टाण्ट ईसाई पारिस व्यक्तिका आतनाद उठा। सभ्य बननेवालोंको धिक्कार ! नगरमें उपस्थित थे। घर-घर आमोदका स्रोत क्या यही सभ्यताका चित्र है !* वह रहा था। किन्तु यह क्या आ पड़ा! एक मुइतमें अति अल्प समयमें ही यह संवाद पोपको मिल हाहाकार उठा। प्रोटेष्टाण्टोंको अनुरागिणी फान्स गया ! इसे सुन पोपके पानन्द की सीमा न रहो ! रोम राज-भगिनोने विष खाकर प्राण त्याग दिय। दुष्ट नगरी उज्ज्वल आलोकमालासे सजी। घर घर नृत्यगीत रोमन काथोलिकोंने फान्सराज के आदेशसे अकस्मात् होने लगा। महामति पोपने घोषणा की-'आज घरमें घुस अति नीच भावसे वीरपुरुष नौसेनापति महोत्सवका दिन है! हमारे विपक्षवादी विधों कोलिग्नको मार डाला। शत्रोंन उनके पूत देह को (प्रोटेष्टाण्ट ) मारे गये हैं ! इसको अपेक्षा अधिक खण्ड विखण्ड कर सबके सामने वातायनसे राजपथ सुखका संवाद दूसरा कौन हो सकता है। हमारे पर फेंका। उनका मुण्ड राजमाता और राजाक अधीन जहां जो रहे, इस उत्सबमें आमोद प्रमोद निकट भेजा गया। हत्याकारियोंने प्रकृत पिशाचका | मनाने से न चूके।' पोपके महाभिषेकका उत्सव रूप बनाया था। नरके रतसे उनका सर्वशरीर रंगा। हुआ था। ईसाइयों में यह दिन 'सेण्ट बाथलम्य'ज . "वर-घरसे आर्तनाद और मर्मभेदी रोदन निनाद (St. Bartholomew's day ) कहाता है । जर्मनोंने निकला! उच्चपदस्थ शत शत सामन्त और सम्भान्त इसका नाम 'ब थोजोट' (Bluthoziet) रखा है। व्यक्ति हत्याकारीगणके भीषण आघातसे मरने लगे। पारिस नगरीको तरह फान्समें सर्वत्र अनेक दिन ऐसा कोई वौर न था, जो अनाथ प्रोटेष्टाण्टों को बचा तक प्रोटेष्टाण्ट ईसाइयोंपर ऐसा ही अत्याचार रहा लेता। पारिस नगरीके प्रत्येक राजपथमें प्रकृत हो था। शेषको फान्सराज १४श लुईके राजत्वकालमें रक्तको नदी बही थो। बालक-बालिका, युवक उसने अधिकतर भोषण आकार बनाया। उतपोडनको युवती और वृद्ध वर्षीयसी किसीको निस्तार न मिला। कथा लिखनेसे व्यक्त नहीं होती। सेकड़ों प्रोटेष्टाण्ट यह भयङ्कर दृश्य अपनी आंखों देख किसो भुक्तभोगी गुप्तभावसे देश छोड़ भिन्न राज्य में रहकर प्राण बचा ईसाईने लिखा है,-'अति भीषण दृश्य देख पड़ा था। सके थे। १७०ई०को देनमार्क-राजके साहाय्य से जिगेन परमेश्वर ! उस नरकका रूप फिर न देखाये। टुर्वल बलग (Ziegenbalg) और प्लचु (Plutschaw) नामक हृदय यह धारण करने की क्षमता भी नहीं रखता, लथरके मतावलम्बी दो ईसाई भारतमें प्रोटेष्टाण्ट-मत कि मानव इतना निष्ठ र रक्तपिशाच होता है। हत्या चलाने आये। दोनो ही महापण्डित थे। जिगेन- कारोके तीब्र आघातसे पिता मृत्य की शय्यापर सोता बलग तामिल भाषामें बाइबिलका अनुवाद बनवाने और पति विपक्षक बन्धनमें पड़ रोता था। उसी लगे। भारतको जितनी भाषामें बाइबिलका अनु- -पिता और पतिके सामने अबला रमणोको पकड़कर वाद मिलता, उसमें यही सर्वप्रथम है। जिगन- टुत्तन अत्याचार किया। आंखोंसे देखते माताके बलगके अन्यतम सहचर मुल ज.ने (Schultze) हृदयका एकमात्र धन स्तन्यपायी शिशु मारा जाता १७२५ ई०को हिन्दी भाषामें बाइबिल निकाली थी। तोंने स्तनको काट,उलङ्ग कर और पद पकड़ उनके यत्नसे मन्द्राज, कडेलर, तञ्जोर प्रभृति नाना सुन्दरी रमणियों को राजपथ पर घसीटा। उनके पदा- • Comber's History of the Parisian Massacre of घातसे अनेक गर्भवती नारियों का मर्भ गिरा था।। St. Bartholomew; Clark's Looking Glass for Perse- • cution प्रति ग्रन्थ द्रष्टव्य हैं। ' किसीने आसन्न मृत्य कालमें जो एक घूट जल मांगा; + Lewis de Enarolle's Memoirs of the Persecutions तो उसी समय किसी निर्दय व्यक्तिने जाकर उसके | ef_the Protestants in France द्रष्टव्य है। था