पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१३०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

ईसा-ईसाई १२१ मुहम्मदके मतसे ईसा मसीह 'रूह-अल्ला' वा हारिसे पूछा था,-ईसा नामक कोई व्यक्ति धरातल- जगदौखरके पात्मा, कुमारी मेरीके सन्तान और एक पर रहा या नहीं।" पुराविदोंने उक्त अपने मतको पैगम्बर समझे गये हैं। मुसलमान इनके आगमनसे - पोषकतापर अनेक ग्रन्थ भी लिखे हैं। किन्तु ईसाई पौत्तलिकताके स्रोतका कितना हो रुकना और धर्मपर प्रकृत विश्वास रखनेवाले अयौक्लिक युक्तिको सनातन धर्मका जमना मानते भी इन्हें जगत्का मूख व्यक्तिका प्रलाप कहा करते हैं। उनके कथनानु- परित्राता ( Redeemer and Saviour) नहीं सार कुरिनियाम, पिलेट वा टाइबिरियासको राज- समझते। स्वयं मुहम्मदने ईसा मसीहका जन्म, तालिकामें लिखा न रहते भी तासितास को लेखनसे ईखर कटक मृतिकारसे उतपत्ति और मैरीके उसका प्रमाण मिलता है। तासितासने लिखा है- निकट देवदूतका समागम प्रभृति घटनायें कुरान्में ताइबिरियासके राजत्वकालमें शासनकर्ता पोन्तयास लिखी हैं। पिलेटको आज्ञासे ईसाईधर्म-प्रवर्तक ( Founder of ईसाइयों ने इनको जीवनी नाना प्रकारसे सङ्कलित Christianity) मारा गया था। पिलेटने ईसाई की है। सकल ही ग्रन्थों में ईसाका मत विशदरूपसे | मतके अनुसरणसे होनमति बालकोंको सतर्क करनेके मोमांसित और आलोचित है। अनेकों ने ईसा- लिये एक राजाज्ञा ( Act of Pilate ) निकाली वी. प्रवर्तित धर्ममतको विचार विशेष निन्दा भी की है, और वह ई के रे शताब्दतक बलवती रही। जिसको पालोचनाका यहां कोई प्रयोजन नहीं। ईसाई (फा० वि० ) १ खुष्टीय, नसरानी, मसीहो। ईसाइयोंमें जिन सकल महात्मायों ने इनकी जीवनी (पु०) २ रुष्टान, मसीहको माननेवाला। देखकर हृदय में उन्नत भाव प्राप्त किये, उनमें कई यह ईसा मसीहका भक्त और तन्मतावलम्बी लोगों के मत यहां लिखे जाते हैं। काण्टने ईसाको सम्प्रदाय है। ईशाके भक्त कहा करते हैं,-"उसी अभिव्यक्ति से पूर्ण ज्ञानको पराकाष्ठा पायी थो। हेगलने असौम अनन्त शक्तिमान् विश्वव्यापी जगदीश्वरने परम इनमें नर और नारायणका एकत्र समावेश ( The प्रीतिसे पवित्रात्मासमूह और इस जगत्को बनाया था। union of the human and the divine) देखा पवित्रामा ईखरका माहात्म्य, प्रेमसम्भोग और था। बहुत बड़े नास्तिक ( sceptics) भी ईसाको कियत् परिमाण उसको पवित्रता पाने के अधिकारी सम्मानना कर गये हैं। स्पिनोजान. इन्हें स्वर्गीय हुये। पीछे ईखरने कामावसायिता ( Free Will) जानकी प्रतिमूर्ति बताया है। वोलतार (Voltaire) उन्हें दे डाली। सुतरां वे इच्छानुसार चलने लगे। ईसा चरित्र-चित्रके सौन्दर्य और गाम्भीर्यपर मुग्ध हुए खेच्छावश क्रमशः उनका मन कलुषित हुआ। उसोसे थे। जगतके विख्यात वीर नेपोलियनने सेण्टहेलेना पापको उत्पत्ति, धीरे-धीरे पापको वृद्धि और उसके द्वीपमें रहते समय कहा था-इनके साथ किसी। साथ दारुण मनस्ताप आया है! शैतानके साथ उसके अपर व्यक्तिका सामञ्जस्य ठहर नहीं सकता। दूतभी वैसी ही अवस्थामें पड़ गये। उन्होंने सारे पापका रुसो ने ईसाका जन्म और मृत्यु देवताको भांति भार सरलप्रवति मानवपर डालना चाहा था। उनकी माना है। एतद्भिन्न ट्रायास्, रेनान, । मनोवाञ्छा पर्ण हई। इससे मानवजाति इतनी प्रभृतिने इन्हें मनुष्यजीवनका नेता और आदर्शपुरुष सन्तप्त, इतनी पीड़ित और इतनी पापग्रस्त है। मानवके लिखा है। पापमोचन, जगत्में न्याय एवं सुखराज्यस्थापन और एक भोर जैसे ईसाई ईसाके गुण गाते हैं, दूसरी मानवजातिको फिर पवित्रता तथा पूर्वगौरव प्रदान कर- और वैसे ही अनेक ईसाई पुराविद धराधाममें उक्त | नेके लिये भगवान्ने अपना प्रियपुत्र ईसाको धरातल- अवतारके होनेपर बिलकुल विखास नहीं लाते। इनके पर प्रेरण किया था। जो ईसा मसीहका धर्मोपदेश अवतार होने पर सन्देह कर नेपोलियनने पहले प्रकृतरूपसे समझते हैं, वे जो उनकी इच्छाके अनुकूल Vol III. 33