पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१२६

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ईसा १२५ खयं अपने निष्याप होने में सन्देह था। किन्तु । था। उसीके अनुसार अपना प्राण बचानेको ये नाना मिष्याप ईसाको बारम्बार अनुरोधसे जोहन उसे स्थानमें घूम-फिरे। लाजारास्के मृत्यु उपलक्ष्यमें दीक्षा देनेको वाध्य हुआ। दीक्षाकालमें उन्होंने इनके ईसाको बेथनी जाना पड़ा था। वहां स्वीय शक्ति- शरीर में दिव्यज्योतिः देखा था। उसी समय जोहनके बलसे मृत लाजारास को पुनर्जीवित करनेपर सानहेट्रिन प्रति आकाशसे देववाणी हुई, यही प्रतिश्रुत मसीहा इतने उभरे, कि कायाफास ( Caiaphas )के नेतृत्व में और यही मसीहा ईश्वरके पुत्र हैं। इनके ध्वससाधनको खड़े हुये। ईसाने वनप्रान्तस्थित दीक्षाके बाद ईसाने ईखरलाभको आशासे वन इफाइम पहुंच आत्मरक्षा की थी। गमनपूर्वक सन्यास लिया था। हादश अपोसल-कथित इफ्राइममें रहने से 'पासोवर' (The passover)- अभिव्यक्तिसे समझ पड़ता है-ये जेरिका मरुभूमिके के भोजोत्सव पर्यन्त। इस समय कुष्ठरोगमुक्त साइ- कोयावान्तानिया प्रदेशमें योगसिद्ध हो ऐखरिक मानके भोजदान उपलक्ष्यपर भक्तिमती मेरोकटक प्रत्यादेशसे वलीयन बने। योगाभ्यासके समय पाप उनके अभिषेक में युदावासी प्रतिहिंसावह्निसे ऐसे जले, सहचर (Powers of Evil)से इन्हें लड़ना पड़ा था। कि यहूदी-पुरोहित एकत्र कर ईसाको मारने चले। __पापपर जय पा ईसा जदैन नदीतौर फिर आये। सद्दसी, स्काइव, हिरोदीय, फारास और सानहेद्री इसौ स्थानसे इनका धर्मप्रचार-कार्य प्रारम्भ हुआ था। इनके उपदेशसे क्रमशः विरक्त बने जाते थे। एकदिन ईसायी लोग इस धर्मप्रचार-कालको प्रधानतः आठ प्रकाश्य वक्ततामें इन्होंने विद्देषो यहूदियोंसे अभि- भागमें बांटते हैं,- सम्पातपूर्वक कह दिया,-रे धूर्त स्क्राइबो और १ जोहन-विवृत प्राथमिक चित्र अर्थात् गालिलोके फारासियो तुम उत्सन्न हो' (Woe unto you, साधारण प्रचारारम्भ पर्यन्त। Scribes and Pharisees, hypocrites. ) यइदी २ गालिलोका प्रचार-जोहनको हत्या पर्यन्त । ईसाके इस वृक्षासूचक वाक्यसे इतने बिगड़े, कि अवि- ३ विरोधकाल अर्थात् गालिलीवासी फारासियों लम्ब इन्हें मार डालनेको मन्त्रणा करने लगे। अवशेषमें और स्काइबोंसे ईसाका मतदैध । पश्चात् पहुच उन्होंने इसाको पकड़ बन्दी बना लिया। ___४ विपद्ग्रस्त हो गालिलोसे चिरप्रस्थान और ७ इसके पीछे शेषभोज (Last supper), ईश्वरप्रेम, इनके पलायनकालका वृत्तान्त । अपूर्व निग्रह, विचार (Trial) और कशारोप (Crusi - ५ उक्त मुदीर्घ प्रवासप्रव्रज्यास जेरूसलम प्रागमन fixion) पर्यन्त । और वहांसे गुप्तहत्याके भय इफ्राइम ग्राममें पलायन ८ सर्वशेषमें इनके समाधिसे पुनरभ्युत्थान एवं लुक्कायित भावपर अवस्थान। टेवारन्कलके भोजोत् ( Resurrection ) और स्वर्गारोहण ( Ascension) सव दिन ईसा सहसा जेरूसलमके पवित्र मन्दिर पर्यन्त । में आ पहुचे थे। 'अन्धोंको चक्षुदान' ( Healing of | __पूर्व में लिखा जा चुका है कि इसाने वेथनो भाग- the blind ) और Woman taken in adultery | कर शरण लिया था। उडत यइदो एकदिन सन्ध्याको नामक घटनादयसे इन्होंने अलौकिक करुणा और शीतल समीरण लेते-लेते इनके पदानुसरणपर्वक जामशक्तिका जो परिचय दिया, उसने इन्हें उस चलकर बेथनी पहुंचे। ठीक उसी समय युदा- पवित्र नगरके पदार्पणप्रसङ्गापर चिरस्मरणीय बना | प्रमुख यहूदी ईसाको भटका पकड़ने के लिये पुरो- लिया है। उसी समय 'उत्सर्गभोजके दिन जेरूसलम | हितोंसे कुमन्त्रणा करते थे। सम्भवतः ३० ई की मन्दिरमें यहूदियोंसे ईसाका घोर मतद्दध उपस्थित ३१ वौं मार्च शुक्रवारको ये बेथनी पाये थे। परवर्ती हुआ। विवाद इतना बढ़ा, कि उन्होंने एकबार उठकर बुधवार पर्यन्त ईसा यहां सुखसे सोये, किन्तु वह- इन प्रस्तर-निक्षेप हारा मार डालनेका भय देखाया। स्पतिको प्रातःकाल भय्या छोड जागने पोके फिर Vol. III. 32