इख़् तियारसे (हिं० क्रि० वि०) स्वेच्छापूर्वक, दिलसे, खुशी-खुशी।
इख़् तियारसे बाहर होना (हिं०क्रि०) अपने अधिकारकी सीमाका उल्लङ्घन करना, अपनी हुकूमतकी हद छोड़ना।
इख़् तियार हासिल होना, इख़् तियार रखना देखो।
इख़् तियार होना, इख़् तियार रखना देखो।
इख़् तिरा (अ० पु०) १ आविष्कार, ईजाद। २ प्रकाशन, फैलाव।
इख़् तिलात (अ० पु०) १ मेलन, मेल। २ परिचय, जानपहचान। ३ अनुराग, प्यार।
इख़् तिलाफ़ (१० पु.) १ अन्तर, फक । २ विरोध, अनबन। ३ स्फोटन, बिगाड़।
इख़् तिलाफ़ रखना (हिं० क्रि०) असम्मत होना, ,फ़र्क पड़ना।
इख़् तिलाफ़-राय (अ० पु०) सम्मतिभेद, खयाल का फ़र्क।
इख़् तिसार (अ० पु०) १ अविस्तार, इजमाल, कोताही। २ संक्षेप, खुलासा।
इख़् तिसार करना (हिं० क्रि०) १ संक्षिप्त बनाना, छांटना। २ सार निकालना, खुलासा बनाना। ३ गणित शास्त्रानुसार न्यूनता लाना, उतारना।
इगतपुरी-१ बम्बई प्रान्तके नासिक ज़िलेकी एक तहसील। क्षेत्रफल ३७६ वर्गमील है। उत्तर-पश्चिम और दक्षिणकी भूमि प्रस्तरमय, अल्पजल और परिक्षीण है। जलवायु शीतल तथा स्वास्थ्यकर रहता है। २ अपनी तहसीलका शहर। अप्रैल और मई मास युरोपीय यहां हवा खाने आते हैं; ग्रेट-इण्डियन-पेनिन-सुला रेलवेका ष्टेशन बना है। पिम्पी ग्राममें सदर-उद-दीन की क़ब्र देखते हैं।
इमलास-१ युक्तप्रान्तके अलीगढ़ जिलेकी एक तहसील। क्षेत्रफल २१३ वर्गमील है। इसमें हंसगढ़ और गोरायी का परगना लगता है। भूमि समतल और उपजाऊ है। २ अपनी तहसील का नगर। अलीगढ़ से १८ मील दूर मथुराको जानेवाली सड़क पर अवस्थित है। १८५७ ई०को सिपाही विद्रोहके
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समय जाटोंने इस नगरपर आक्रमण मारा था, किन्तु साफल्य न पाया।
इगारह (हिं० वि०) एकादश, याज़दा, दश और एक,११।
इग्गली-महीसुर राज्यका एक प्राचीन स्थान। यहां जो शिलालेख मिला, उसमें सत्यवाक्य-कोंगुनीवर्मा परमानड़ी और यरेयप्पा का नाम तथा सत्यवाक्य के इक्कीसवें वर्षका वृत्तान्त लिखा है।
इग्गुतप्पाकुण्ड-बम्बई प्रान्तके कुर्ग ज़िलेका एक पहाड़। पश्चिम घाटकी पर्वतश्रेणी में इग्गुतप्पा कुण्डका शेखर सबसे ऊंचा है। ऊपर दुर्ग और मन्दिर बनाहै। पर्वतका पार्श्व अभेद्य वनसे परिपूर्ण है।
इग्यारह, इगारह देखो।
इङ्क (अं० स्त्री० = Ink ) मसि, रौशनायी, स्याही। स्याही दो तरह की होती है। लिखने की कसीस हड़, माजू प्रभृति को औंट और छपनेकी राल, तेल, काजल वगैरह को घोंटकर बनती है।
इङ्कटेबुल (अं० पु.- Ink-table) मुद्रण-यन्त्रालय में मसि लोहेकी चौकी। यह मेज दो प्रकारकी होती है, मामूली और बेलनदार। मामूली चिकनी साफ़ और ढली रहती है। बेलनदारमें एक ओर लोहेका लोढ़ा लगता और उसके पीछे स्याही भरने का नल रहता है। उसमें कुछ पेंच जड़े जाते, जिनको कसनेसे अधिक और ढीला करने से अल्प स्याही आती तथा कुट-पिसकर समान बन जाती है। इसमें स्याहीवान् को अधिक काम करना नहीं पड़ता।
इङ्कमेन (अं० पु० = Ink-man) यन्त्रालयमें मसी देनेवाला मनुष्य, छापखानेका स्याहीवान्।
इङ्क-रोलर (अं० पु० = Ink-roller ) मसीवर्तिनी, स्याहीका बेलन। छापेखाने में इसीसे स्याही क़ागज़ पर चढ़ती है। यह तीन प्रकारका है,-१ लकडी के बेलनपर ऊनी कपड़ा लगा चमड़ा चढ़ानेसे यह प्रस्तुत और प्रस्तरमय यन्त्रमें व्यवहृत होता है। २ यह लकड़ी के बेलनपर रबर लगाने से बनता, किन्तु अधिक व्यवहार में नहीं आता। ३ गराड़ीदार लकड़ी पर गलित गुड़ तथा सरेस लगाकर यह बनता और अधिक काम देता है।
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