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क्या भारत एक राष्ट्र है?
 

प्रचार प्रायः सम्पूर्ण भारत में था। निकट भविष्य में यह स्थान हिन्दुस्तानी भाषा को मिलेगा, यह निश्चित-सा है। भारत में हिन्दू धर्मावलम्बी विशेष रूप से रहते हैं, यद्यपि छः करोड़ मुसलमान धर्म्म के मानने वाले भी हैं। इस समस्या के सुलझाने का बराबर प्रयत्न हो रहा है। हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य के सम्बन्ध में अविरत परिश्रम किया जा रहा है। वर्ग के सम्बन्ध में भारतीय आर्य्य सन्तान होने का गौरव करते हैं। दक्षिण के कुछ भाग में द्राविड़ वर्ग के लोगों का प्राधान्य अवश्य है, किन्तु वहां भी आर्य्य-सभ्यता की छाप गहरी है। इन सबके अतिरिक्त राष्ट्रीयता की लहर भी एक स्थान से उठकर भारत के कोने कोने में पहुँच जाती है। तब फिर भारत के एक राष्ट्र होने में क्या सन्देह हो सकता है?

भारतवर्ष में भाषा की एकता नहीं है।

ऊपरी दृष्टि से देखने से भारत एक राष्ट्र अवश्य मालूम पड़ता है परन्तु हमें तो यहाँ राष्ट्र की परिभाषा के आधार पर इस विषय पर सूक्ष्म रीति से विचार करना है। भाषा का राष्ट्र से बहुत निकट का सम्बन्ध है अतः सबसे प्रथम भाषा के प्रश्न पर विचार करना अनुचित न होगा। अँग्रेज़ी भारत के लोगों की अपनी भाषा नहीं कही जा सकती। १९२१ की जनसंख्या के अनुसार बत्तीस करोड़ भारतवासियों में केवल पच्चीस लाख अँग्रेज़ी लिख-पढ़ सकते थे। इसमें सन्देह नहीं कि भारत के भिन्न भिन्न भागों के अँग्रेज़ी पढ़े-लिखों को एक साथ विचार करने