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दृष्टि से देखी जाती हैं। वे बड़े उदार भी थे और सहृदय कवियों को लाखों दे देते थे। उन्होंने फ़ारसी में भी रचनायें की थी। उनका 'दीवान फ़ारसी'. और'वाकयाते बाबरी' का फ़ारसी अनुवाद बहुत प्रसिद्ध है। हिन्दी में भी उन्होंने कई ग्रन्थों की रचना की है। उनकी कुछ हिन्दी-रचनायें देखियेः-

१- कहि रहीम इकदीप तें, प्रगट सबै दुति होय।
  तन सनेह कैसे दुरै, जरु दृग दीपक दोय।
              
२- छार मुंड मेलतु रहतु, कहि रहोम केहि काज।
  जेहि रज रिषि पत्नी तरी, सो ढूंढ़त गजराज।

३- रहिमन राज सराहिये,जो ससि के अस होय।
  रवि को कहा सराहिये, जो उगै तरैयन खोय।

४- योँ रहीम सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
  ज्यों बड़री अखियाँन लखि, आँखिन को सुख होत

५- ज्यों रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
  बारे उँजियारो लगै, बढ़े अंधेरो होय।

६- बालम अस मन मिलयउं जस पय पानि।
  हंसिनि भई सवतिया लइ बिलगानि।
  भोरहिं बोलि कोइलिया बढ़वति ताप।
  एक घरी भरि सजनी रहु चुपचाप।
  सघन कुंज अमरैया सीतल छाँहि।
  झगरति आइ कोइलिया पुनि उड़ि जाहिं।
  लहरत लहर लहरिया लहर बहार।
  मोतिन जरी किनरिया बिथुरे बार।