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उर्दू और रेखता भी है । इसमें अरबी, फारसी, संस्कृत भाषाके शब्द हैं"[१]

डाकर गिल क्राइस्ट

आज कल उदू अधिक बदल रही है, उस में फ़ारसी तरकीबों का अधिकतर प्रयोग होने लगा है। मेवा का मेवों, निशानका निशानों, मजदूर का मज़दूरों, शहर का शहरों, दवा का दवाओं और क़सबा का कसबों ही पहले लिखा जाता था, क्यों कि हिन्दी के नियमानुसार उनका वहुबचन रूप यही बनता है । परन्तु अव फ़ारसी के अनुसार उनका बहुवचन रूप मे-वात, निशानात, मज़दूगन् , शहरात, अदविया. कसबात अथवा क़सबाजात लिखना अधिक पसंद किया जाता है। इसी प्रकार हिन्दी के कुछ कारक चिन्हों का लोप करके फारसी शब्दों को फारसी तरकीब में ढाला जाने लगा है, रोज़ेसियह, इशरते क़तरा, नशयेइश्क, मुर्दादिल, गरीबुलवतनी, मसायलेतसव्वुफ़. आदि इसके प्रमाण हैं। लम्बे लम्बे समस्त पदों की भी अधिकता हो चली है-जैसे 'जेरे क़दमे वालिदा फिरदोस बरीं है, परन्तु तो भी उर्दू का अधिकांश प्रचलित रूप हिन्दी ही है।

इस प्रकार के प्रयोगों से हिन्दी में कुछ फ़ारसी शब्द अधिक मिलगये हैं, और उर्दू नाम करण ने विभेद मात्रा अधिक बढ़ा दी है; तथापि आज तक उर्दू हिन्दी ही है, कतिपय प्रयोगों का रूपान्तर हो सकता है भाषा नहीं बदल सकती। फिर भी यह स्वीकार करना पड़ेगा कि हिन्दी भाषा पर अरबी फ़ारसी और तुर्की शब्दों का इतना अधिक प्रभाव है कि एक विशेष रूप में वह अन्य भाषा सी प्रतीत होती है।

सौ वर्ष के भीतर हिन्दी में बहुत से योरोपियन विशेप कर अंगरेज़ी शब्द भी मिल गये हैं, और दिन दिन मिलते जा रहे हैं। रेल, तार, डाक, मोटर आदि कुछ ऐसे शब्द हैं, जो शुद्ध रूप में ही हिन्दी में व्यवहृत हो रहे हैं, और लालटेन, लम्प आदि कितने ऐसे शब्द हैं, जिन्होंने हिन्दी रूप ग्रहण


  1. The language at present best known as the Hindustanee, is also frequently denominated Hindi, Urdu and Rckhia. It is compounded of the Arabic, Persian and Sanskrit, or Bhasha which last appears to have been in former ages the current language of Hindustan.-Dr. Gilchrist.