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साहित्यिक हिंदी की उपभाषाएँ'

____ वर्तमान पूर्ण "जाना" एकवचन बहुवचन पुरुष स्त्री० स्त्री. | गए हैं । गई है गया है। गया है गया है गई है। गई है गए है। गए है ० (४) बुदेली भाषा-व्रज से मिलती जुलती या उसी की एक शाखा बुंदेली या बुंदेलखंडी भी है, जिसकी छाया कवियों की भाषा में घरावर मिलती है। यह भापा बुंदेलखंड, ग्वालियर और मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में बोली जाती है। इसको विस्तार-सीमा के पूर्व ओर की पूर्वी हिंदी की बघेली बोली, उत्तर-पश्चिम की ओर ब्रजभापा, दक्षिण- पश्चिम की ओर राजस्थानी और दक्षिण की ओर मराठी भापा का साम्राज्य है। उत्तर, पूर्व और पश्चिम की ओर तो यह क्रमशः उन दिशाओं में वोली जानेवाली भापांओं में लीन हो जाती है और वहाँ इसका मिश्र रूप देख पड़ता है; पर दक्षिण की और यह मराठी से बहुत कम मिलती है। यद्यपि इसको कई बोलियाँ बताई जाती है, पर वास्तच में सर्वत्र इसका एक सा ही रूप है। इधर-उधर जो अंतर देख पड़ता है वह नाम मात्र का है। . साहित्य में धुंदेली का सबसे अच्छा नमूना पाल्हखंड में मिलता है। पर इस ग्रंथ को कोई प्राचीन हस्तलिखित प्रति न मिलने तथा इसका अस्तित्व पाल्हा गानेवालों की स्मरणशक्ति पर ही निर्भर रहने के कारण भिन्न भिन्न प्रांतों में इसने भिन्न भिन्न रूप धारण कर लिए हैं। इसमें बहुत कुछ क्षेपक अंश भी मिल गया है, इससे इसका वास्तविक प्राचीन रूप अय प्राप्त नहीं है। कवि केशवदास बुंदेलखंड के रहनेवाले थे, अतएव उनकी भाषा में बुंदेलो का बहुत कुछ अंश घर्त्तमान है। नीचे इस भाषा को व्याकरण-संबंधी मुख्य मुख्य बातों का उल्लेख करके इसके रूप का परिचय दिया जाता है।