यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५६ हिंदी भाषा (५) और है हिंदी में क्रमशः क, ख और ग हो जाते हैं; जैसे J5 का कौल, ~ का हक, 5 का खाक, का गम, ARE का गुलाम, का गरीव ।। (६)हिंदी में फ हो जाता है; जैसे us का फायदा, का फिकर, 3. का शरीफ। इस अक्षर के विदेशी उच्चारण का प्रभाव कुछ अधिक व्यापक जान पड़ता है। यद्यपि यह प्रायः फ हो जाता है, पर बोलचाल में इसने अपना प्रभाव कुछ कुछ धना रखा है और कहीं कहीं तो शुद्ध संरकत शब्दों के फ का भी लोग धोखे से के समान उच्चारण कर बैठते हैं। जैसे 'फूल' को 'फूल' न कहकर 'फूल' और 'फिर' को 'फिर' न कहकर 'फिर' कहते हैं। प्रायः गुजरातियों के उच्चारण में यह दोपअधिक पाया जाता है। (७) और.का कभी कभी लोप हो जाता है। जव शम्द के बीच में पाता है, तव उसका लोप होकर उसके पूर्व का अर्धाच्चरित श्रदीर्घ हो जाता है। जैसे का मालुम, ॐ का माफिक। ये सब उदाहरण भाषा के ध्वनि-विकास के भिन्न भिन्न भेदों के अंतर्गत श्राते हैं। मुसलमानी भापायों से श्राप हुए शब्दों में पागम, विपर्यय और लोप संबंधी भेद भी प्रत्यक्ष देख पड़ते हैं। जैसे मर्द से मरद, फिक से फिकर, अमानत से अनामत। इन भाषाओं से श्राए हुए कुछ शब्दों का यदि यहाँ निर्देश कर दिया जाय तो अनुचित न होगा। सुभीते के लिये. इनके विभाग कर दिए जायँ तो शीर अच्छा हो। राजकाज, लड़ाई, श्राखेट अादि के- . अमीर, उमरा, खानदान, खिताव, ख्याल, खास, तस्त, ताज, दरवार, दौलत, नकोच, नवाय, बादशाह, मिर्जा, सालिक, हजूर, हजरत, कूच, कतार, फायू, खंजर, जखम, जंजीर, जमादार, तवक, तंबू, तोप, दुश्मन, नगद, नेजा, फौज, फौत, यहादुर, वजीर, मनसबदार, रसद, रिसाला, शिकार, शमशेर, सरदार, हलका, हिम्मत श्रादि श्रादि । राजकर, शासन, और दंडविधान आदि के- औलाद, मर्दुमशुमारी, श्रावाद, इस्तमरारी, वासिल, कम्जा, फसवा, खजाना, खारिज, गुमाश्ता, चाकर, जमा, जमीन, जायदाद, तवील, ताल्लुक, दारोगा, दफ्तर, नाजिर, प्यादा, फिहरिस्त, वाय, थीमा, महकमा, माफ, मोहर, रैयत, शहर, सन, सरकार, सजा, हद, हिसाय, हिस्सा, नाइना, अदालत, इजहार, इलाका, उज, फसूर, काजी, कानून, खिलाफ, सिरिश्ता, सुलहनामा, जोजे, जवान, जन्त, जारी,