पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३७९

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आधुनिक काल ३७t: हिंदी साहित्य का यह विकास बड़ा ही अाशाप्रद और उत्साह- वर्द्धक था। थोड़े समय की यह साहित्यिक प्रगति उस काल के लेखकों नागरी प्रचारिणी के मनोयोग और कृति-शीलता की परिचायक हुई ' है। इस काल के उपरांत साहित्य के सभी अंगों " की बड़ी सुंदर उन्नति हो चली और प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे अच्छे लेखकों का अभ्युदय हुआ। साहित्य के सौभाग्य से उसी समय काशी नागरी-प्रचारिणी सभा की नीव डाली गई और सरस्वती जैसी उच्च कोटि की मासिक पत्रिका निकली। (पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी जैसे श्रेष्ठ पत्रकार और व्याकरणविद विद्वान् के हाथों में जाकर "सरस्वती" ने भापासंस्कार का जो अभूतपूर्व कार्य किया उसका सय श्रेय उसके संपादक को है। भापा को काट-छाँटकर दुरुस्त करने, व्याक- रण के नियमों की प्रतिष्ठा करने, नवीन लेखकों में उत्साह बढ़ाने और अँगरेजी की ओर मुके हुए अनेक नवयुवकों को हिंदी की ओर खींचने का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण कार्य द्विवेदीजी ने किया। भारतेंदु हरिश्चंद्र के गोलोकवास के श्राठ वर्ष के उपरांत हिंदी भापा और नागरी लिपि के प्रचार, प्रसार तथा उन्नति के उद्देशं से संवत् १९५० में काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना हुई। इस सभा ने अब तक हिंदी भाषा और नागरी लिपि की अमूल्य और गौरव- प्रद सेवा की है। हिंदी के प्राचीन ग्रंथों का अनुसंधान करने और उन्हें छापकर प्रकाशित करने का मूल्यवान् कार्य इस संस्था की प्रसिद्धि का कारण सुश्रा है। प्राचीन साहित्यिक खोज संबंधिनी "नागरी प्रचारिणी पत्रिका" में बड़े ही मार्मिक और गंभीर लेखों की श्रृंखला चली। यह पत्रिका विद्वन्मंडली में पड़े श्रादर की दृष्टि से देखी जाती है। हिंदी में विज्ञानसंबंधी शन्दों की रचना कर वैज्ञानिक कोष का निर्माण सभा ने कराया और पारितोषिक देकर उच्च साहित्य के निर्माण की प्रेरणा की। हिंदी शब्दसागर से प्रामाणिक, उपयोगी और महत्त्वपूर्ण कोशका प्रकाशन कर समा धन्य हुई है। "काशी नागरी-प्रचारिणी सभा से हिंदी भाषा तथा साहित्य के इतिहास का नया परिच्छेद प्रारंभ होता है। हिंदी-संसार में श्राज सर्वत्र जो स्पष्ट युगांतर दिखाई दे रहा है उसके श्रेय की सबसे अधिक अधिकारिणी यह समा ही है। विगत ३०-४० वर्षों के बीच हिंदी की उन्नति के जितने बड़े बड़े काम हुप हैं या तो खुद उसके अपने प्रयत से दुए हैं, या उसकी प्रेरणा, प्रमाव अथवा उदाहरण से हुए हैं। कार्यों के महत्त्व का ऐसे लोगों के लिये ठीक अनुमान करना भी कठिन है जिन्हें