पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३४३

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रीति काल. ३४३ समीक्षा में कवि ही माने गए हैं, यद्यपि उनके स्वतंत्र पथ का निर्देश अवश्य कर दिया गया है। हम यदि वाल्मीकि की रामायण की तुलना पिछले कवियों की रचनाओं से करें तो प्रत्यक्ष अंतर देख पड़ेगा। उदाहरणार्थ यदि वाल्मी- कीय रामायण को कालिदास के रघुवंश से मिलाकर देखें तो वाल्मीकि में कथा कहने की अधिक प्रवृत्ति, घटनाओं का अधिक उल्लेख, वर्णन की अधिक सरलता मिलेगी और कालिदास में उपमाओं की अधिक योजना, छंदों का अधिक सौष्ठव और अलंकरण की अधिक प्रवृत्ति देख पड़ेगी। कालिदास का प्रत्येक छंद हीरे की कनी की तरह चमक उठता है, उनका समस्त काव्य सुंदर हार सा है । इसके विपरीत वाल्मीकीय रामा- यण वह वेगवती सरिता है जो स्वच्छंद तथा अप्रतिहत गति से बहती हुई उचल देख पड़ती है। कालिदास से और आगे बढ़कर जब हम माघ के शिशुपालवध को देखते हैं तो उसमें कथा और घटना बिलकुल गौण पाते हैं; केवल वर्णनसौंदर्य ही हमें श्रारष्ट करता है। कविता अपना अलग उद्देश रखने लगी है, उसके अलग नियम बन गए हैं, अलग साज-वाज हो गए हैं। शैिली चमत्कारपूर्ण हो गई है। अलंकार अपने अपने स्थान पर पहना दिए गए हैं और सब कुछ रीतिवद्ध सा हो गया है। जय हम संस्कृत काव्य की इस क्रमोन्नति के कारणों की खोज करते हैं, तव काव्य-समीता-संबंधी शास्त्रों और अलंकार-ग्रंथों को शरण लेनी पड़ती है। संस्कृत में काव्य-समीक्षा का ___ रस-संप्रदाय सबसे प्राचीन तथा प्रतिष्ठित प्राप्त ग्रंथ भरत मुनि का नाट्यशास्त्र है। यद्यपि इसके नाम से ही यह पता लगता है कि इसकी रचना नाट्यकला को ध्यान में रखकर हुई होगी, और इसमें रूपकों के विविध अंगों का विस्तृत वर्णन मिलता भी है, पर जैसा कि हम ऊपर कह चुके हैं, संस्कृत में नाटक भी काव्य की ही एक शाखा-विशेष है, अतः काव्य के विवेचन के अंतर्गत ही नाटकों का विवेचन भी श्राता है। भरत मुनि के नाट्यशास्त्र का महत्त्व हम इतने ही से समझ सकते हैं कि उनके प्रतिपादित सिद्धांतों का नाट्य-साहित्य में तो अक्षरशः पालन किया गया है, अन्य कायों में भी उसके विधिनिषेध माने गए हैं। उसके कट्टर से कटर विरोधी भी उसका उल्लेख करते हैं और पिप्रणीत ग्रंथ की भांति उसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। आज भी नाट्यशास्त्र संसार के काव्य समीक्षक ग्रंथों में अपना प्रतिष्ठित स्थान रखता है। नाट्यशास्त्र की "रस-शैली" जगत्प्रसिद्ध है। संपूर्ण भारतीय साहित्य में "रस" संबंधी उसकी विवेचना स्वीकृत की गई है। यदि