पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३१४

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३१६ हिंदी साहित्य ग्रंथों की रचना की जिनमें अनेक रामभक्ति के भी है; पर उनके ग्रंथों का विशेष प्रचार नहीं हुथा। महाराज रघुराजसिंह के "रामस्वयंवर" की अच्छी प्रसिद्धि है परंतु साहित्यिक दृष्टि से उसका विशेष महत्त्व नहीं। उसमें युद्ध-वर्णन के अवसर पर जिन अनेक शस्त्रों श्रादि का नामोल्लेख किया गया है, उन्हें पढ़कर जी ऊब जाता है। इतिवृत्ति के रूप में ही इसके प्रायः सय वर्णन है, अतः उनमें काव्यत्य की कमी है, फिर भी साधारण साहित्य समाज में इस पुस्तक का पर्याप्त प्रचार है। इसमें विशेषकर महाराज रघुराजसिंह ने राजसी ठाट-बाट का वर्णन किया है। श्राधुनिक युग भकि का युग नहीं है। फिर भी रामचरित के कुछ प्रसंगों को लेकर खड़ी योली में कुछ खंडकाव्यों की रचना हुई है, मैथिलीशरण परंतु वे भक्ति-काव्य नहीं कहला सकते। श्री मैथिलीशरण गुप्त की "पंचवटी" कविता-पुस्तक में राम का सीता और लक्ष्मण सहित पंचवटी-प्रवास वर्णित है। इन्हीं गुप्तजी का "साकेत" नामक यड़ा काव्य-ग्रंथ भी निकला है जिसमें राम- कथा कही गई है। कुछ अन्य कवियों ने भी रामायण की कथा का श्राश्रय लेकर कविता की है, पर उनका नामोल्लेख यहाँ अनावश्यक है।