पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३०४

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३०४ हिंदी साहित्य और वहाँ पत्नी द्वारा फटकारे जाने पर घर छोड़कर चल देना भकमाल की टीका और वेणीमाधवदास के चरित से अनुमोदित है। यही नहीं, वृद्धावस्था में भ्रमण करते हुए गोस्वामी जी का ससुराल में अपनी चिरवियुक्ता पत्नी से भेंट होने का विवरण भी मिलता है। उस समय स्त्री का साथ चलने देने का अनुरोध निम्नांकित दोहे में बतलाया जाता है। खरिया खरी कपूर ली उचित न पिय तिय त्याग । कै खरिया मोहि मेलि के अचल करहु अनुराग ।। यह सब होते हुए भी कुछ आलोचकों की सम्मति में तुलसीदास जी के विवाह की बात भ्रांत जान पड़ती है। उनके ग्रंथों में स्त्रियों के संबंध में जो विरोधात्मक उद्वार पाए जाते हैं, उनका श्राधार ग्रहण कर यह कहा जाता है कि गोस्वामी जी जन्म भर चैरागी रहे, स्त्रो से उनका साक्षात्कार नहीं हुश्रा । अतएव ये स्त्रियों की विशेषताओं और सदगुणों से परिचित नहीं हो सके। वही उनके विरोधात्मक उद्गारों का कारण है। परंतु यह सम्मति विशेष तथ्यपूर्ण नहीं जान पड़ती। गोस्वामी जी ने स्त्रियों की प्रशंसा भी की है और निंदा भी। विवाह न करने से ही स्त्रियों के संबंध में किसी के कटु अनुभव होते हैं, यह बात नहीं है। स्त्रियों का कामिनी के रूप में बहिष्कार केवल तुलसीदासजी ने ही नहीं, अन्य अनेक संप्रदायाचार्यों और कवियों ने भी किया था। भकि-काल की यह एक सामान्य विशेषता सी थी, यह तुलसीदासजी की कोई अपनी बात न थी। सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि विवाह के संबंध में वाह्य और आभ्यंतर साक्ष्य मिलते हैं और जनश्रुतियां उसका अनुमोदन करती हैं। स्त्री से विरक्त होकर गोस्वामीजी साधु बन गए और घर छोड़कर देश के अनेक भूभागों और तीर्थों में घूमते रहे। इनका भ्रमण पड़ा विस्तृत था, उत्तर में मानसरोवर और दक्षिण में सेतुबंध रामेश्वर तक की इन्होंने यात्रा की थी। चित्रकूट की रम्य भूमि में इनकी वृत्ति शति- शय रमी थी, जैसा कि उनकी रचनाओं से स्पष्ट होता है। काशी, प्रयाग और अयोध्या इनके स्थायी निवास स्थान थे जहाँ ये वर्षों रहते और ग्रंथ-रचना करते थे। मथुरा वृंदावन आदि तीर्थों की भी इन्होंने याना की थी और यहीं कहीं इनकी "कृष्ण-गीतावली" लिखी गई थी। इसी भ्रमण में गोस्वामीजी ने पचीसौं वर्ष लगा दिए थे, और बड़े बड़े महा. स्माओं की संगति की थी। कहते हैं कि एक बार जब ये चित्रकूट में थे, तय संवत् १६१६ में महात्मा सूरदास इनसे मिलने श्राए थे। कवि केशव- दास और रहीम खानखाना से भी इनकी भेंट होने की बात प्रचलित है।