पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२९४

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२६४ हिंदी साहित्य से उसकी भेंट हुई। इसी बीच में उसने रुकमिनी नामक एक सुंदरी को राक्षस के हाथ से बचाकर अपनी प्रेमिका बना लिया था। मृगावती और रुकमिनी दोनों उसकी रानियाँ हुई। एक दिन वह हाथी से गिरकर मर गया। मरने पर दोनों रानियों के सती होने का मर्मस्पर्शी चित्र दिखाया गया है। कुतयन की यह गाथा काल्पनिक है। इसके बीच बीच में प्रेम- मार्ग की कठिनाई का भीपण चित्र है और अनेक रहस्यात्मक स्थल है। इनकी मधुमालती नामक प्रेमगाथा का उल्लेख भी पद्मावत में किया गया है। मधुमालती की कथा मृगावती की अपेक्षा अधिक रोचक है और इसके वर्णन भी अधिक विशद है। प्रकृति ' के अनेक सुंदर दृश्यों का इसमें वर्णन मिलता है। प्रेममार्गी सूफियों में ये ही सर्वप्रधान हुए। इनका रचनाकाल शेरशाह के राजत्वकाल में सोलहवीं शताब्दी का अंतिम भाग था। मलिक मुहम्मद जायसी भी पद्मावत और असरावट इनके रचे दो ग्रंथ मिले हैं जिनमें पद्मावत प्रधान है। हाल में उनकी 'आखिरी कलाम' नाम को रचना खोज में मिली है। पद्मावत की कथा में ऐतिहासिकता और काल्पनिकता का अच्छा समन्वय हुआ है। अखरावट में अक्षरक्रम से सूफी सिद्धांतों और ईश्वर तथा जगत् विषयक व्यवहारों का निरूपण है। 'आखिरी कलाम' में जायसी ने मुसलमानी मजहब की मान्यताओं का निर्देश किया है और इसमें मजहबी कट्टरता का भी पुट है। मलिक मुहम्मद अवध मांत के जायस कलवे के रहनेवाले थे। इनके गुरु प्रसिद्ध सूफी फकीर शेख मोहदी थे। अनेक पंडितों और साधुओं का इन्होंने सत्संग किया था और बड़ी जानकारी प्राप्त की थी। वेद, पुराण, कुरान आदि प्रसिद्ध धर्म-ग्रंथों की अनेक बातें इन्हें साधु-संगति, से ही मालूम हुई थीं क्योंकि ये बहु-पठित न थे। इनका भ्रमण भी बड़ा विस्तृत रहा होगा, क्योंकि पनावत में देश भर के भिन्न भिन्न स्थलों की भौगोलिक स्थिति का जो उल्लेख है, वह यहुत कुछ ठीक है। पद्मावत में प्रेम-मार्ग की जो मर्मस्पर्शिणी कथा है वह स्वर्गीय प्रेम की अत्यंत व्यापक भावना से समन्धित है। क्या कथा के निर्वाह का ढंग, फ्या प्रसंगानुकूल भावों को व्यंजना और क्या वर्णनों की उप- युक्तता, सभी प्रशंसनीय हैं। प्रकृति के नाना दृश्यों के द्वारा अज्ञात के प्रति जो संकेत है, वे जायसी की उच्च अनुभूति के परिचायक हैं। असरावट में जायसी के प्रेमसंबंधी तथा अन्य सिद्धांतों का संग्रह है इन प्रसिद्ध कवि की मृत्युतिथि फा ठीक ठीक पता नहीं लगता।