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२. हिंदी भाषा श्रायों के सप्तसिंधु में पस जाने के उपरांत उनके यहां रहते समय ही उनकी भाषा ने यह रूप धारण किया था, जिसे याजकल लोग प्राचीन संस्मृत कहते हैं। पर उस समय भी उसके फर प्रांतीय भेद और उप. भेद थे। आजकल भारतवर्ष में जितनी प्रार्यभाषाएं पाली जाती है, उन सबकी उत्पत्ति उन्हीं मांतीय भेदों और उपभेदों से हुई है। हमारे प्राचीन धर्म-ग्रंथों में जो संस्कृत भाषा मिलती है, उसका विकास भी उन्हीं भेदों से हुआ था।