पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१७६

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भिन्न भिन्न परिस्थितियाँ पूर्व मध्य काल मुहम्मद गोरी के उपरांत दिल्ली का शासनाधिकार क्रमशः गुलाम, खिलजी तथा तुगलक राजघरानों के हाथ में रहा। यद्यपि इन राजवंशों राजनीतिक ने कई सौ वर्षों तक भारत के विस्तृत भूभाग पर शासन किया; पर इस समय कोई सुव्यवस्थित शासननीति श्राविभूत न हो सकी। विभिन्न अधिपति अपनी अपनी चित्तवृत्ति के अनुसार राज्य करते थे और प्रजा को उनकी नीति स्वीकार करनी पड़ती थी। उस काल में यद्यपि मुसलमानों के पैरइस देश में अच्छी तरह जम गए थे और उन्हें यहाँ से निकाल बाहर करने की शक्ति हिंदुत्रों में नहीं रह गई थी, पर फिर भी हिंदुओं ने उस समय तक विदेशीय शासन को एकदम अंगीकार नहीं कर लिया था। मुसलमान शासक भी अब तक किसी बड़े साम्राज्य स्थापन का कार्य नहीं कर सके थे और राजपूत राजाओं से कर लेकर ही वे संतोप कर लेते थे। इस काल में यद्यपि अलाउद्दीन खिलजी, मुहम्मद तुगलक और फीरोज शाह जैसे घड़े नपति भी हुए, पर ये उस केंद्रीय शासन की प्रतिष्ठा करने में समर्थ नहीं हुए जिसका सम्यक् आविर्भाव मुगल काल में हुआ। अनेक मुसल- मान राजवंश बहुत कुछ स्वतंत्र होकर जौनपुर श्रादि में स्थापित हुए जो दिल्ली के मुख्य शासन से प्रायः असंपर्कित थे। इब्न बतूता नामक तत्कालीन इतिहासलेसक के अनुसार यह मानना पड़ता है कि इस काल के शासकों में देश की हितचिंता भी अवश्य थी और औषधालयों, यात्रागृहों आदि की स्थापना करके वे प्रजा का पर्याप्त हित साधन मी करते थे; परंतु उनकी अनियमित शासननीति के कारण देश में वह शांति और समृद्धि नहीं आ सकी थी जो पीछे से अकवर श्रादि के शासनकाल में श्राई। मुसलमानों के शासन का यह प्रादि काल था; अतः इसमें विशेष प्रौढ़ता और स्थिरता की श्राशा नहीं की जा सकती थी। ___ इन मुसलमान शासकों के समय में विलासिता की वृद्धि हुई और मुसलमान तथा हिंदू दोनों ही नैतिक दृष्टि से अध:पतित होने लगे। सामाजिक अवस्था मदिरा का प्रचार व्यापक रूप में हो रहा था और ___घड़ी घड़ी बुराइयां शीघ्रता से फैल रही थीं। यद्यपि बलवन तथा अलाउद्दीन श्रादि कुछ शासकों ने सुधार की चेष्टा को थी, परंतु वैभव की वृद्धि के कारण एक ओर तो मुसलमानों को उस' ओर ध्यान देने का अवसर ही नहीं मिला और दूसरी ओर उस वृद्धि के साथ ही धार्मिक शिथिलता भी भाई तथा समाज में अनेक प्रकार के अंध. २३