पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/१७२

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१७३ भिन्न भिन्न परिस्थितियाँ अनुरक्त नहीं थे। हिंदू धर्म की थोर प्रवृत्ति होने के कारण उन्होंने अरव के अनेक विद्वानों को श्रायुर्वेद, ज्योतिष, कृषि तथा अन्य विद्याओं की शिक्षा प्राप्त करने के लिये भारत में भेजा था। परंतु यह अवश्य स्वीकार किया जाना चाहिए कि मुसलमानों ने भारत से प्राप्त शान को लौकिक आवरण देकर युरोप के सामने एक नवीन रूप में रखा। युरोपीय विचारों के लिये यह उपयुक्त भी सिद्ध हुश्रा। हैवेल साह्य के इस विचार का समर्थन करने को अनेक प्रमाण हैं कि इस्लाम की किशोरावस्था में उसे भारत ने ही शिक्षा दी थी, यूनान ने नहीं। भारत ने ही उसके दर्शन-तत्त्व निरूपित किए थे और प्रेम-विशिष्ट धार्मिक श्रादों को स्थिर किया था। भारत की ही प्रेरणा से मुसलमानों के साहित्य, कला और शिल्प आदि को सुचारु स्वरूप मिले थे।" परंतु संस्कृति की दृष्टि से हिंदुओं पर विजय न पा सकने पर भी धीरे धीरे मुसलमानों का आतंक बढ़ता गया और उनके आक्रमण बहुत कुछ दृढ़ और नियमित हो गए ! हिंदू बिलकुल निर्वल नहीं थे, उनकी सेनाएँ बलवती थी, पर दार्शनिक वाद-विवाद और हिसा श्रादि पर विश्वास करनेवाली जाति बहुत दिनों तक अपनी रक्षा नहीं कर सकी। यद्यपि उस समय हिंदुओं के वर्णभेद के कारण आजकल का सा जातीय कट्टरपन नहीं पा सका था, परंतु संघटित होकर यवन-शक्ति का विरोध करने में हिंदुओं की समस्त शक्ति एकत्र नहीं हो सकी। ब्राह्मणों में शेव शाक्त श्रादि विभेद भी हो चले थे और क्षत्रियों में तो आपस की छीना-झपटी लगी ही थी। इस प्रकार जातीय शक्ति विश्रंखल होकर पराधीनता की वेड़ी पहनने को तैयार हो गई थी। इसी समय गजनी के सुलतान महमूद के प्रसिद्ध आक्रामण प्रारंभ हुए। देश का अनंत धन-जन छीना गया। मंदिर तोड़े गए, कला के राजनीतिक अवस्था सुदरतम निदर्शन नष्ट कर दिए गए। फिर भी ' राजपूत राजाओं की नींद न खुली, उनका श्रापस का विद्वेप बना ही रहा। अंत में जव गजनी साम्राज्य के उखड़ जाने पर गोर प्रदेश के अधिपति ने यवन-शक्ति का नवीन संघटन किया तब मुसलमानों की नीति में विलकुल परिवर्तन हो गया। इसके पहले उनके आक्रमणों का मुख्य उद्देश लूट-मारकर काफिरों को तंग करना और इस देश की अतुल धन संपत्ति को विदेश ले जाना तथा यहाँ के निवासियों को गुलाम बनाना था, पर श्रव वे भारत पर राजनीतिक आधिपत्य जमाने का प्रयत करने लगे। मुहम्मद गोरी ने पहले तो पंजाब प्रदेश का एक विस्तृत भूभाग हस्तगत किया और फिर उत्तर