देख ऐसा प्रतीत होता है मानों किसी विशेष और बड़े उद्देश्य
के लिये ईश्वर ने उन्हें बनाया है।
फूलों के समान वृक्ष और लताएँ भी बड़ी रमणीय मालूम होती हैं। वे प्राकृतिक दृश्य के सौंदर्य के पोषक हैं। बड़े बड़े वृक्षों में छोटे पुष्प लगते हैं और छोटे वृक्षों और वन-लताओं में बड़े फूल आते हैं। उनकी शोभा निराली है। वृक्षों की पल्लवश्री सदा सर्व काल में अपनी प्रशांत शोभा बनाए रखती है और हर एक फवृक्ष एक सुंदर चित्र सा बना रहता
शीत प्रदेश के वन ग्रीष्म ऋतु के दिनों में बहुत शोभाय-
मान दिखाई पड़ते हैं, परंतु जाड़े के दिनों में जब बर्फ पड़ती
हैं, तब वृक्षों के पत्ते झड़ जाते हैं और पल्लव-रहित शाखाओं
पर बर्फ का मुलम्मा चढ़ जाता है। वह दृश्य अपने ढंग का
निराला होता है। उष्ण प्रदेशों के अरण्यों की और जंगलों
की शोभा इससे बहुत भिन्न होती है। वहाँ वृक्ष सीधे, ऊँचे
गगनचुंबी दिखाई पड़ते हैं। नीचे कुछ दूर तक एक बड़ा सरल
स्कंध होता है। उसके आसपास का भाग सघन छाया के
कारण अत्यंत शीतल और रम्य दिखाई देता है। ऊपर घनी
शाखाओं का जाल मेघाडंबर के समान फैला होता है।
सघन जंगलों में रविकिरणों की अगवानी करने की इच्छा से
मानों सब कुछ ऊपर ही को चढ़ता हुआ दिखाई देता है।
कुछ जानवर वृक्षों पर चढ़ जाते हैं। पक्षी तो तरुवरों के शिखरों
की ऊँची से ऊँची डालियों पर बैठे चहक-चहककर मधुर गीत