ऐसा मौका अपनी वक्तृता में लाना ही पड़ता है जिसमें
करतल-ध्वनि अवश्य हो।
वही हमारी साधारण बातचीत का कुछ ऐसा घरेलू ढंग है कि उसमें न करतलध्वनि का कोई मौका है न लोगों को कहकहे उड़ाने की कोई बात उसमें रहती है। हम तुम दो आदमी प्रेमपूर्वक संलाप कर रहे हैं। कोई चुटीली बात श्रा गई हँस पड़े तो मुसकराहट ओठों का केवल फरक उठना ही इस हँसी की अंतिम सीमा है। स्पीच का उद्देश्य अपने सुननेवालों के मन में जोश और उत्साह पैदा कर देना है। घरेलू बातचीत मन रमाने का एक ढंग है। इसमें स्पीच की वह सब संजीदगी बेकदर हो धक्के खाती फिरती है।
जहाँ आदमी को अपनी जिंदगी मजेदार बनाने के लिये
खाने, पीने, चलने फिरने आदि की जरूरत है वहाँ बातचीत
की भी हमको अत्यंत आवश्यकता है। जो कुछ मवाद या
धुवाँ जमा रहता है वह बातचीत के जरिये भाफ बन बाहर
निकल पड़ता है। चित्त हलका और स्वच्छ हो परम आनंद
में मग्न हो जाता है। बातचीत का भी एक खास तरह का
मजा होता है। जिनको बातचीत करने की लत पड़ जाती है
वे इसके पीछे खाना-पीना भी छोड़ देते हैं। अपना बड़ा हर्ज
कर देना उन्हें पसंद आता है पर बातचीत का मजा नहीं
खोया चाहते । राबिन्सन क्रूसो का किस्सा बहुधा लोगों ने
पढ़ा होगा जिसे १६ वर्ष तक मनुष्य का मुख देखने को भी