नहीं देता,सब धान बाईस पसेरी तोलता है,मानों हरभोगपुर
का राज करता है। इसी संसार में क्यों नहीं देख लेते जो
आम बोता है वह आम खाता है और जो बबूल लगाता है वह
कॉटे चुनता क्या उस लोक में जो जैसा करेगा सर्वदर्शी
घट-घट अंतर्यामी से उसका बदला वैसा ही न पावेगा? सारी
सृष्टि पुकारे कहती है, और हमारा अंत:करण भी इस बात की
गवाही देता है कि ईश्वर अन्याय कभी नहीं करेगा; जो जैसा
करेगा वैसा ही उससे उसका बदला पावेगा।"
तब तीसरा पंडित आगे बढ़ा और उसने यो जबान खोलो
कि "महाराज! परमेश्वर के यहाँ हम लोगों को वैसा ही
बदला मिलेगा कि जैसा हम लोग काम करते हैं। इसमें कुछ
भी संदेह नहीं, आप बहुत यथार्थ फर्माते हैं । परमेश्वर अन्याय
कभी नहीं करेगा, पर वे इतने प्रायश्चित्त और होम और यज्ञ
और जप, तप, तीर्थयात्रा किसलिये बनाए गए हैं ? वे इसी
लिये हैं कि जिस में परमेश्वर हम लोगों का अपराध क्षमा करे
और वैकुंठ में अपने पास रहने की ठौर देवे " राजा ने कहा
"देवताजी, कल तक तो मैं आपकी सब बात मान सकता
था लेकिन अब तो मुझे इन कामों में भी ऐसा कोई दिखलाई
नहीं देता जिसके करने से यह पापी मनुष्य पवित्र पुण्यात्मा
हो जावे। वह कौन सा जप, तप, तीर्थयात्रा, होम, यज्ञ और
प्रायश्चित्त है जिसके करने से हृदय शुद्ध हो और अभिमान न
आ जावे ? आदमी का फुसला लेना तो सहज है पर उस घट