पृष्ठ:हिंदी निबंधमाला भाग 1.djvu/४

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निवेदन

हिंदी में उत्तम कोटि के निबंधों का कोई ऐसा संग्रह अब तक प्रकाशित नहीं हुआ जो भावों तथा भाषा के विचार से उच्च कोटि का हो और जो ऊँची कक्षाओं के विद्यार्थियों के हाथ में इस उद्देश्य से दिया जा सके कि वे उसे आदर्श मानकर अपनी लेखन-शैली तथा विषय-प्रतिपादन रीति को सुधार इस अभाव की पूर्ति के उद्देश्य से यह संग्रह प्रस्तुत किया गया है। पहले भाग में अपेक्षाकृत सरल लेखों का संग्रह है तथा दूसरे भाग में उससे कठिन लेखों का संग्रह है। भाषा की कठिनता या सरलता केवल शब्दों की तत्समता या तद्भवता पर निर्भर नहीं है। विचारों की गूढ़ता, विषय-प्रतिपादन की गंभीरता, मुहाविरों की प्रचुरता, आनुषंगिक प्रयोगों की योजना और पदों की जटिलता तथा इन गुणों की न्यूनता ही भाषा को कठिन या सरल बनाती है। यही उद्देश्य सामने रख- कर यह संग्रह उपस्थित किया गया है

श्यामसुंदरदास