गए और वहीं राजा के सामने क्षण भर में अपने खून में
ढेर हो गए।
ऐसे दैवी वीर रुपया, पैसा, माल, धन का दान नहीं दिया करते। जब वे दान देने की इच्छा करते हैं तब अपने आपको हवन कर देते हैं। बुद्ध महाराज ने जब एक राजा को मृग मारते देखा तब अपना शरीर आगे कर दिया जिसमें मृग बच जाय, बुद्ध का शरीर चाहे चला जाय। ऐसे लोग कभी बड़े मौकों का इंतिजार नहीं करते; छोटे मौकों को ही बड़ा बना देते हैं।
जब किसी का भाग्योदय हुआ और उसे जोश आया तब
जान लो कि संसार में एक तूफान आ गया। उसकी चाल के
सामने फिर कोई रुकावट नहीं आ सकती। पहाड़ों की पस-
लियाँ तोड़कर ये लोग हवा के बगोले की तरह निगल जाते
हैं, उनके बल का इशारा भूचाल देता है और उनके दिल की
हरकत का निशान समुद्र का तूफान देता है। कुदरत की
और कोई ताकत उनके सामने फटंक नहीं सकती। सब
चीजें थम जाती हैं। विधाता भी साँस रोककर उनकी राह
को देखता है । यूरोप में जब रोम के पोप का जोर बहुत बढ़
गया था तब उसका मुकाबिला कोई भी बादशाह न कर सकता
था। पोप की आँखों के इशारे से यूरप के बादशाह तख्त
से उतार दिए जा सकते थे। पोप का सिका यूरोप के लोगों
पर ऐसा बैठ गया था कि उसकी बात को लोग ब्रह्म-वाक्य