प्राप्त कर ली थी। नागरी पढ़ लेने पर आपने फ़ारसी का पw- प्रारंभ किया और पांच वर्ष में फारसी में पूर्ण योग्यता प्राप्त कर पर्व में ऐसी योग्यता प्राप्त करली कि माप संस्थत के लिए पार मित्र भित्र भाषामों के प्रार भिन्न भिन्न मत मतांतरी से संक- गभ्पता ने थान मास कर लिया। इसलिये ये एकमात्र परमार अपना प्रापयप मान कर पुरानी लकीर केराकोर विपरmम इन राय संबंधी ग्रार इनके पितामह आस्वयं नरो अनसन गए। परंतुदीने मि (१०) राजा रामपालसिंह । जा साहिब का जन्म एक प्रसिद्ध और प्रतापी रा कुल में हुआ है । आप अवध प्रांत के अंत प्रतापगढ़ के ताल केदार मृत राजा हनुमंता जी के ज्येष्ठ पुत्र श्री लाल प्रतापसिंह जी के लौते पुत्र हैं। आपका जन्म संवत् १९०५ को भादो सुदी । हुमा। राजा साहिब बाल्यावस्या ही से प्रत्यंत तीवबुद्धि और दंग स्वभाव के थे पर साथ ही विद्याययन में अनुराग भी स्वाभानि था । अापने सात वर्ष की अवस्था में हिंदी में पूर्णरूप से यो मंगरेजी और संस्कृत का अध्ययन प्रारंभ किया। इसमें भी राजा साहिय ने अभ्यास पोर युनिवल से पार उंदी का मर्म समझने पीर मंगरंजी में पार्तालाप करने लगे थे। रयो पाले यो का पदकर जा साहय के हदय में नयी-
पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/५६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।