पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/२०८

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हैं। बड़ी बहिन ने तो अनेक वर्षों तक "वनिताहितैषी" नाम का मासिक पत्र निकाला था।

ठाकुर गदाधर सिंह का तीसरा ग्रंथ रूस जापान युद्ध पर है जो दो भागों में छपा है। इनके ग्रंथों में एक विशेषता है। वे बड़े ही मनोरंजक और उत्साह-वर्द्धक हैं और जगह-जगह पर मीठी चुटकियां लेना तो मानों इन्हीं के हिस्से में है।

आपका स्वभाव ही बड़ा मिलनसार और नम्र है और देश-सेवा का रंग तो मानों नस नस में रंगा हुआ है।