पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/२०१

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माघकृप्य अमावास्या को हुआ था। पाठ वर्ष की अवस्था होने (३५) पंडित किशोरीलाल गोस्वामी । या मधुरा, इलामा शेरपुर, परगना छाता के अंतर्गत गांय यसा.गुर्द माकोदार पार गुंदापन केशी- A. घाटप श्री ठाकुर पटलबिहारी जी के मंदिर के IPA स्वत्याधिकारोप संयाधिकारी तथा धीमनगग्नि- गाई-सम्प्रदायाचार्य श्रीस्ययम्भूदयजी के वंशधर राजमान्य मद्रोस्वामी केदारनाथ जी दायन में एक बड़े विद्वान् पुरुप हो र है। जिन्होंने ग्रामस्थ पार भगवद्गीता पर भाप्य तथा धीमद्भा- वन पर विलक निर्माण किए हैं। उक्त गोस्वामी महोदय के पुत्र गोस्वामी पासुदेवलालजी याप अपने पिता के समान बहुत बड़े विद्वान् नहीं हुए पर ताभी शुत कुछ थे, क्योंकि इनको जीवनसंबंधी घटनाएं अद्भुत और रहस्यपूर्ण हैं। इनको प्रथम सहमियो की अकाल मृत्यु हो जाने पर इनका दूसरा विवाह काशी के श्रीगोस्वामी कृष्णचैतन्यदेवजी को कन्या से हुआ, जिनसे हमारे चरितनायक का जन्म संवत् १९२२ पर आपका यझोपवीत हुग्रा पार उसी समय विद्यारम्भ कराया गया। इन्होंने संस्कृत में व्याकरण, वेदान्त, न्याय, सांख्य, योग और ज्योतिष की प्रथम परीक्षा तक के ग्रंथ पढ़े पीर साहित्य में प्राचार्य परीक्षा तक के । इनके पिता कुछ दिनों तक आरे में रह पाए थे, ये भी उन्होंके साथ में थे। इन्होंने पंडित पीतांबर मिश्रजी तथा पंडित रुददच जी से व्याकरण आदि कई ग्रंथ पढ़े थे । और मारे में आयपुस्तकालय की स्थापना की और सुप्रसिद्ध पंडितचर बाल-