पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/२०

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(0) तयों ने उर्दू का सत्यानाश कर दिया। इसके सिवाय देश भर में हां कहाँ पार्यसमाज का नाम घ निशान मौजूद है यहां हिंदी भाषा को चर्चा भी अवश्य है। स्वामी जी का देहांत सन् १८८३ ई० में अजमेर में हुआ। इनसे देश का जो उपकार हुआ है यह निस्संदेह अमूल्य है । वेद मत का प्रचार, अपनी पूर्वकीर्ति में निष्ठा और भविष्यत् उन्नति में उद्योग यह उन्होंने मारत-पासियों को सिखाया है। १९ घों शताब्दी में जो महात्मा भारतवर्ष में हुए हैं उन सबमें स्वामी जी का आसन