पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१५३

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(२८) पंडित श्रीधर पाठक । AMARITठ श्रीधर पाठक सारस्वत प्राशय है. इनके पूर्व पुरुष

  • काई ११० पर्ष हुए कि पाप में पाकर धरी
  • ग्राम में जो प्रागर जिले केमोगलाबाद परगने में

वर्ग और कोमिक उनधुति के अनुसार एक विशाल जमा दाग उन यहां बसने का इंतु था। पाटफ जो परमपितामह हिंदी कपि, पार तथा पनि धापी. घr mat पुरंधर नयायिक थे । पिना पंडित लीलाधर जो पाप एक साधारय पंडित धे परंतु सरियता, भापनि और पाय. मा में पवितीय। गालोक-गमन को दो ही पर और जया पाठक जी एन कति नाम यि विभाग पोरवायमा का एकपादक। पाराका जम्म मापरम पदंगी गंपन् १९५६. ११ मगन् १८५०० ग्राम में दुप। जाम में पागल पागधार पराया में पुद्धि पंग भाग में होने लमो पाना मा cim Narayanग। पालुबाई परमों में सभा मेlim मा १२ पाप की narri, रहा। M EART में इन्हें nिary Artisten ELErastuttart luft u dalla spet niepra sairas aniilmemaltants