पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/१०५

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(१६) उपाध्याय पंडित बदरीनारायण चौधरी । PARAMERडित बदरीनारायण चौधरी भारद्वाज गोत्र के सरयूपारीण ब्राह्मण नोरिया उपाध्याय हैं । इन के दादा पंडित शीतल प्रसाद उपाध्याय मिर्जा- AA avasar पुर के एक प्रतिष्ठित रस, महाजन, व्यापारी पौर ज़मींदार थे। इन्होंने अपने ही बाहुवल से बहुत कुछ धन, मान और प्रतिष्ठा प्राप्त की। इनके एक मात्र पुत्र पंडित गुरुचरण लाल उपाध्याय हुए जो अपने पैत्रिक तथा सांसारिक कार्यों का भली भांति समादन करते हुए ब्राह्मय-गुणों में मादर्श हुए । ये अब तक वर्तमान हैं। इन्होंने बहुत कुछ द्रव्य व्यय करके कई संस्कृत पाठ- शालाएं खोलो हैं जिनमें विद्यार्थियों को भोजन आच्छादन आदि का · मो उपयुक्त प्रबंध है। अब ये महाशय प्रिवेणी तट पर झूसी के निकट वाले अपने प्राम में रहकर योग और शान के अर्जन में अपना समय व्यतीत करते हैं। इनके ज्यष्ठ पुत्र हमारे चरित नायक पंडित बदरीनारायण चौधरी का जन्म संवत् १९१२ भादपद कृष्ण को हुआ। प्रायः पाँच वर्ष की अवस्था के पूर्व इनकी सुशीला और शिक्षिता माता ने स्वयं इन्हें हिंदी पढ़ाना प्रारंभ कर दिया था तो भी इन्हें गुरु जी के यहाँ कुछ दिनों हिंदी पढ़नी पड़ी थी। संवत् १९१७ में इन्हें फ़ारसी की शिक्षा दी जाने लगी। फिर अंगरेजी प्रारंभ कराई गई, पर कई कारणों से पढ़ाई का सिलसिला ठीक न चल सका। कुछ दिनों तक गोंडे में रह कर इन्होंने विद्याध्ययन किया । यहाँ अवधेश महाराज सर मताप नारायण सिंह, लाल त्रिलोकी नाथ सिंह पौर राजा उदय-