पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/९४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[1] माभित आल पदवे है। इनके विषय में और इस संवत् चारिक लियय में मी हात इच मी बात मही; स्यादय और न० (ग-१७) रतमंगरी (-४) बा एक ही है। यजमाती (ज-३२०) दंपति बिलास--वपीर कसा नि० का १० समस्तीस ६० (ग-६७) tur वि०मापिका मेरा दे०(ग-२) बिलोकनापसिा-उप० मुषमा भयाभ्या मरेश पच कनि-वप येषवचा सन् १७६ के जगमा महाशमानसिक मोजेथे सं० १५ वर्तमान सिकारी (गया) के वर फठेवसिंह और स्वरमारी के राजा गुमानसिंह के सपमग घर्तमान। सतितिार-(अ-२८) भाभिया हाजमा (मसनी, कमोड के बीच में गगा तट पर निवासी पिलोकसिम-से रि गोपामासिहक पिता जान पड़तेला की, मनुमानतः सम्म क्लिास १०(म-18) १बी हामी आरम में हुए। बासिदपकना दे० (-५५) (3-4) समाचार दे० (-३२१) (-४२) दोष पर्ष यात्रा । २० (-1) त्रिलोकीनापसिंह (भैया)--उप० मापन । वेदप करि-मके विषय में कुछ भी बात नहीं। सरोदय ०(घ-२२०) 'मावन (-२८) दत्तामय-कपा-जयसिंह डूष रुस निकाल विमोचन (पाद)-उप तामसेनाद तामसेम' ! सवि० दत्तात्रय अवारका पाईन । त्रिलोचनदास वैष्णुष सम्वाप के भावार्य ६०(क-२५०) भमतदास मेनिक माम की परिपई बनाई। दारनामा-गुशासिंह बी का निका 4. (*) स०९०५२, मिका००१३बिवफ्तर विखोपनदास की परिचयी-ममतदास क्या का हिसाब रखने की रीति । दे०(च-२९) पिकविलोचनमाल की महिका पन। दे० वसरनामा-प्रम्य माम दफ्तर रस पेजसिंहास, (ज-५ सी) नि० का.स. १८२ शि.का. १२ रिविक्रमसेन–१० २५६ के लगभग समान वि० रियासतों का हिचकिवार बनेकी पजा हम्मीसिंह के पुष! रीढि०(घ-१४)(१-२१५) पाडियो दे० (-१२२.) दारनामा-गणेश कवि कव, नि का० ० यानराए- मुलगमा पर्वमान १५२, लि० का १पि० हिसाब नगर केयमा बसेहसिमाभित में हम किताब रखने को रीतिदे०(३-३२) विषय में और कुछ भी डरत महों। दफ्तरनामा-हिम्मतहि रुप मि. स. शाकादे० (ज-३१७) kavar सिका० स० 800 वि0हिसार देवापार्य-से सामी रामानद के अनुपापी घा रखने की रीति । ५० (4-१२)