पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/८६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

शिर्शत सार २०(ग-४६) (ग-२०) भानकीदासतिया निवासी स018 केला (-69) (-2) भगवर्तमान दतिया नरेश महाराज परीक्षित अमुराम चारण-बाशाहपालमगीर के समका केमाभित। हीना सं०११ सामगवतमाल समयपुर स्फूर होगाकविन और विपणार ०(५-५३५) (पषिण)पमा जीतराय मामित । वाम बतौली (री) रामवाति स्किार २०(च-११) जानकी मंगड-गामामी तुलसीदास कसरि महामीर पावशाहमकपरका पुष, राका मीराम जानकी का सिपाह पर महाराज ६.१९९२-१६ कागाने विचार राज बनारसा पुस्तकालप में दो प्रतियाँ है, एक कुमार सिंह का बड़ा सम्मान किया और भय और दूसरी यर है। ० (-38) बह ५ वर्ष तकसके दरबार में रहे। ३० (क-६४) तीसरी प्रति का लि.का स०१८४२० जहाँगीर द्रिका केरा मिथ मिका (E- R995) ०१ लि. का. सचिनवि०बाद भानकीरसिमशरण-० १६१६ के जगमग शाहजहाँगीर का पशबर्णन 10(म-४०) चर्तमरम, अयोग्या निवासी थे। मात्रक चदिका-मनाथ रिपाठीत लियो कि कोपिनी नौका दे० (--) टिप १२० (२५ सी) मानकीराम को नखशिस्त्र-ऐमसी सरि राम बामकी का नायिका(ब-१०बी) + नामिविलास-रेपषि (देवर), पि. + अनेक माठियों को मियों का वर्णनापशिनी, नानकी रामचरित्र नाटक-हरिराम त, वि. चिनिनी, प्रविनी, तिमी भादि के माप । रामायण की कथा नारक रूप में दे० (- ३०(३-६४ सी) १२६) मानकी करुणामरण-प्रशिोरी शरम कत: मानकी सहसनाम-भीनिवास हि घo लि० का० स० १totoमलकार। स०१६ पि. सौता जी के जार मामों का वर्माना(-३३०) मानी जू को मंगलाचरण-रघुपरगरम कतानिनरम-बेनीराम कत, मि० सं० PM विकसीठाका स्वयपर बर्णन ० (-३०४५) Hिosp०१०२पिन मवकसिांतों जानकीदास-रेशर कत रामदिया के टीकाकाय का वन दे.(0-10) स.१८ लगभग वर्तमान । भीवराय-ममपपुर (पषि) के राजा 0 राममति याण्डिा।दे०(प-५०) १५ सगमा पर्वमान, बापणार मालम- जानकीवास-थे देणय सप्रदाय के साये रमले गीर के समकालीन कपि रामभाभय विषय में और क्षात मही। पाया। 20 (ब-१९९) nde पोष। दे० (-२२५) मीरवशा-भुदास त, ब भारुण नाम