पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/८०

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[ H] बाप रामायण-रामवरणदास कृता यि सीता सामुद्रिक, पोसिप, वैयक, कोक, पिंगा, का पिनाक पनुए उठाना और अनकका सीता चित्र काय, प्रकार, मापिका भौर संगीवादि केशिया के लिए प्रतिमा करमा दे बन । दे० (प-१२) (-२५) २४ी) जगतगम-पतपुर (पुरेसा) के राजा, अपंगमायण-गोसामी तुमसीहास लि. राम्प का०स०१७-18 हरिश रिज का० १० १४२छिपय एल में रामायण के माधयाना थे।३० (-४) का वर्णम । ०(५-२५ ऐ) भगवराज दिग्विजय-रिकेश दिए कृती लि. हीरा रचि-९४७के मगमग एर्तमामा का स० १८५६०तपुरक राजा अगर हलके विषय में और भी माय माही। रासादिग्विजप तथा जीपमा पर्णमा २० पर सोजी गएरा दे०(4-३) (ग-३५) (-४) झूटा दोर-मागरीराप्त (राशा सावनिक)| भगतविनोद-प्रसाकर भE TO नि० काम स० रुव वि०मकि रसमय सपदेश के फाहे। १८७२५ मि०० स० विनायिका २०(-1१६) मेव, मप रत वर्षम । -(ग-६)(५५) मंत्रीस या मीरार्षद--कालिदास त्रिवेदी | जगतसिंह-जयपुर मरण माराम तापसिंह विराधा रुपणका प्रेम और रूप वर्णमा सवाई के पुत्र रान्प का ०.१८६0-1201 (+-) (-1) कपि एनाकर मह के मामपदाता दुमी के प्रामीह-उपयोगीता दे ओगट 1 यमा चाँदसिह इनके सेनापति थे। द. नगमीरनदास- पाक शिष्य, चंदेल राकरमगतसिर---उपपपुर मरेश १ का मग पर्समा कमि रखपतिराय कमाय- कोरया (बारावी) निवासी थे राहोंने सस्यमामी सपाय पक्षापा चौरस.TE दाता । ३० (८-१३) के जगभग पर्वमान , पामोदरदास, दूलन अगति-१० १७00 के झगमग वर्तमान दासगुरू। अमाथाके भाभयदातर।.(ज-236) बरागीरताप की पामो देव (ब-१५२)| भगतसिंह-मिनगा (पहार) के साकेदार (a) दिग्विसिर के पुत्र, कविता का स. बानीवनदास की पानी-मगजीवनदास कला १५-१सगा। विका०सं० १ वि०मान-यणम । २० साहित्य तुपामिविदे० (-1) ( (7–192) सिमीमांसा (-१दी) भगवमोदन-माप , नि० का० सं०१० मशिन (ब-१७ सी) गि का घ०११५ कि पेदल, म्याय, मादीश-शब-पॉमरेश पुराजसिह