पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/७६

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[३] निदान का मापान्तर किया, स० १७२६ के लग चरणदास-मका पहिला माम रणजीत था मग पक्षमा र पिपम में मोर पुष भी सुमदेव के शिष्य बहरा (महपर, राजपूताना, बारमाहीं। निवासी गतिक धूसर बनियाँ, साजोगा मारा विरामदे०(४) मानी पकी इनकी शिम्या थी, आम कार फोर पकानदयाल कर, पि० पफोर का समस्युका० स०१३ बद्रमा के प्रति स्नेहादे०(स-) राप मासा दे० (-18) चतुरदास--मिम मास १२ क लगभग मनिल गुरासार पीए- परमान, सास के शिष्य, इसका नाम अतु ग्रम दे०(-१४७ सी) मुंश मिश्र या सामोने पर पतुरदास नाम मात मरोइन दे०(231)(प-10) पत्रा। प्रमरोड प्रता याम (छ-१५० एफ भामबन पकासार (क-31)(- राम ढीबा ० (क-२४७) १०) (-१५६) दायराम सगर दे०(ज-50) चतुर्भुग ( मिप) इनका साघु होने पर पर एमबी ० (-) शासनाम पड़ा। द० (-1) (१०) मग योग दे० (-) (५-२५६) माहिर दे०(ब-) चतुर्मुन शुक्र }-सोपमणि रे पिता के मोर सागर दे०(घ-18) पूर्व वर्तमान थे. भूगपुर (प्रपाग) निवासीथे। दे.(क-२२६) दे०(-१४) परपास-प्पामदास के शिप्पा यह प्रक्षित समुर्भुजमास -पह जाति के कायपणे मोर उरणास शान-सयेश्यपाले मही पक्ष प्रचसे राजपूताना निवासी जान पड़ते है। स. १७४ गमग बर्तमाम बारम्प मापन मधुमालतीपेकपा(ग-1) के गुरु थे। दे० -) चर्मुभद्रास-पह मन के प्रसिद्ध हिंस-हरियश मेह त्राशिमा (क-२५) के शिष्य थे। परम् अदापाले पतुर्मुलनास | घर-नापिका-येयमाहिता विपरनीति । देव महोई०१६३२ के लगभग पर्तमाम । हाय परा दे० (-१४८) परनापक-मधुमति वि० समस्त थापरप पति नाप दे०(बी) मोतिभा परम्प मापादुचाए । दे० (-२) मी सिमगा दे०(6-12 सी) पौदसि-~-दुती (अपपुर) के गागावत ठाकुर परणपिशामचरण दास कतालिका शेमूसिंह के पुत्र और जयपुर नरेश महागस १० सीता रामकबरला कामदारम्प अगसिर सनापति गहोंने कई बार सपा विहाँ का बर्थन । २०(8-मार) टोक कमायार ममीराका सई में पप