पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/३७

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वर्तमान। į 8 3 सं० १६४५, लि० का० सं० १८७०, नि० का० पाटन राजा अनंतराय का वर्णन 1 दे०(-२६) सं० १७५५, वि० वेदान्त मान । दे० (च-६७) अनंद (आनंद) अनारम निवासी, सं० १३० के (छ-२४० सी) लगभग वर्तमान; श्रानंद अनुभव के रचयिता अध्यात्मवोध-गरीबदास कृत; लि० का० सं० भी यही मालूम होते हैं। १७०६, वि० वेदान्त ज्ञान । दे० (ग-8५) आनंद अनुभव दे० (ध-३७) अध्यात्म रामायण--किशोरदास कृत, लि० का० भगवतगीता दे० (ज-४५) सं० १९१३, वि० सीताराम घर्णन, अध्यात्म दामलीका दे० (ज-४थी) रामायण संस्कृत का मापानुवाद । दे० (छ प्रोध चन्द्रोदय नाटक दे० (ज-४ सी) ६१ वा) अनंद-कवि का उपनाम मालम होता है; सं० अध्यात्म रामायण-नवलसिंह (प्रधान)कृत वि० १७६१ के पूर्व वर्तमान। संस्कृत अध्यात्म रामायण का भाषानुवाद । कोकसार दे० (ग-4) (८-१२६) दे० (छ- एस) अनंदगम-जयपुर निवासी, सं०१८७६ के लगभग भनंतदास-सं० १६४५ के लगभग वर्तमान एक साधु, कृष्णदास के शिष्य । (स-२३३) (छ रामसागर दे० (ज-५१) १२८) (ज-५) अनन्य-चिंतामणि-कृपानिवास कृत; लि० का० नामदेवादि की परिचई दे० (ख-१३३) सं० १६५७, वि० रामभक्ति । दे० (छ-२७६ बी) पीपा परिचई दे० (छ-१२८५) अनन्य-तरंगिनी--जनकराजकिशोरीशरण कृत; रैदास की कथा दे० (छ-१२८ वी) नि० का० सं०१८, लि० का० सं० १४५८ रैदास को परिचई दे०(ज-५०) सं० में भूल है। वि० भक्ति का विवरण । दे० (ज-१३४ बी) कबीर साहब की परिचा दे०(ज-५ वी) विलोचनदास की परिचई दे० (ज-५ सी) अनन्य-निश्वयात्मक-भगवत् रसिक कृत; वि० वैष्णव सम्प्रदाय के सिद्धान्तों का वर्णन । दे० अनंतराम-संभवतः १८वीं शताब्दी के श्रत में (क-२६) जयपुर नरेश महाराज सवाई प्रतापसिंह के अनन्य-पचासिका-अक्षर अनन्य कृत, अन्य आथित थे। नाम शान पचाता, लि० का० सं० १६५७, वि० वैद्यक ग्रन्ध भाषा दे० (ज-६) श्रात्मज्ञान । दे० (छ-२) अनंतराय- कोल्हापुर (पाटन) के राजा, सं० अनन्य पचीसी-अक्षर अनन्य कृन, अन्य नाम १३४७ के लगभग वर्तमान, कंत्राट कवि ने दैव शक्ति पचीसी और शक्लिपचासी, लि० का० सं० इतका वृत्तान्त लिखा है । दे० (-२६) १८६५, वि० दुर्गा-प्रार्थना । दे० (छ-२जी) अनंतराय साखल की वार्ता-कैबाट सरवरिया अनन्य-प्रकाश-अक्षर अनन्य कृत, सि० का० सं० कृत, नि० का० स० १८५४, वि० कोल्हापुर १४२२, वि० ब्रह्मशान । देव (ज-ए) >