पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२२०

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[ { } मायामोम्योग में नापिका मेर का षर्मन। नसहला को और रिशी के पावगाह मुहम्मद 20(बी) ग्राहकेमाभित थे। घादशा--गजराज निका० सं०१६०३ रपाक पति ० (५३५) बिपिमहादे० (-) (ज-३५४५) मार्प पावंजलि मामा-मधुरामाथ या का रस रवाना २०(१-२३)(--) नि० का सपियोगका वर्म। (ग-१) अमर शशिका (६-२४२सी)(३१४सी सदन कवि-संतराम पुत्र, जाति कबीये रसिकरिया (२४२ टी) ग्रामसमपुरा निवासी 10 खगमग wdNT माथा ६० (-२) समान; भरतपुर मरेश पसा मुमसिंह के तरस रस दे० १ -३१५ वी) माभितथा प्रसिद्ध कवि मतसिंह के पिता सं० ११ गुमाल धिरे() के पूर्व पर्तमान, पजाब निवासी थे। दे. धम-धीशवाणी में वर्तमान में त्योतिषी (म-२८२)() थे, कुन कमि इनकी सा की है। सरदास-स० १५५० से १३२० तक धीमान, बाक दे०(-०५) माम सम्बाय के पेपर मक और निरी सूरन पुराण-गुसतीदास कल, यि सूर्य की सुमसिर कपि, इनको गलना मरछाप में की कथा का वर्णन । दे०(ब-१२३ एम) आता है। जाति के प्राण प्रसिदाधी थे। मोट-ये गोखामी तुलसीदास से मिल जाग सासागर मार दे(म-११३) पड़ते हैं। सूरसागर 010-1) (२) घरममच-उप शामसिहा मरतपुर-मण राप का० सं० १७१२-२२० स० २०२० म्याग दे० (६-२४४५) में मुगलों के पुर में मारे गए थे मुगलों, पर संपर (करबी) (म-२१२) महतो, पहेली और पामयवाद दुर्रानी की बयम संपगादे०(८-२०ी) सहाई में सम्मिलित पये पमा पदमसिंह भाग 011-26t) के पुष और शाहरसिंह के पिटा; सूखम कपिपुरदास नी के शिष्टे (सटीक)-- महरा भीररिमायभामयाता थे।३०(-1) पास रि० सूरदास जी के पठिन पर्छ कीरीका।(क) धव मिश्र--स० १७६८ के गमग पर्तमाम, सूरसागर-सूरदास मिका R०१३, आदिभाग्यकुम्म मामाघागरा मिपासी) मिकाम, दूसरी प्रतिकास.१७४२, गोत्रपुर-नरेश महाराज उसयतसिंह लिम तीसरी सिकायोमासंEARN