पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/२१७

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[१४] नि० का० सं० १८८७, वि. कृष्णलीला और प्रायाम प्रकाश दे० (छ-२५० सी) कुछ भक्तों का वर्णन । दे० (ध-५७) (च-६७) मुंदर सत श्रृंगार-सुंदरसिंह कन, नि० का० फानिक मनी प्रकाश दे० (ज-३०७१) सं० १८६६, वि० कृष्ण की भक्ति और भावना का शियनस दे० (ज-३०७ सी) वर्णन । दे० (घ-201) (घ-१६५) मदान रमाणांय (रस रखार्णव) दे० (घ- मुंदर सांख्य-सुंदरदास कृत वि० दर्शन दे० १२४) (८-३३) (क-१७) पिंग दे० (घ-१२३) सुंदरसिंह-भरथपुर-राजवंश के महाराज कुमार, नोट-संभव है, कपिला और टीलपुर के सुख- स०१६ के लगभग धनमान थे। देव भिन्न भिन्न हों। पचाध्यायो दे० (ड-७३) गौरी पाई की महिमा दे० (ट-७४) मुखदंव लाल----जानि के कायस्थ.मैनपुरी निवासी सं०१७ह के लगभग वर्तमान थे। हुम्नचमन दे० (ड-७५) मानमदम रामायण दे० (ज-३०३) सुंदर मतरंगार दे० (घ-११) (ध-1६५) मुखदेव-शकरदयाल के पिता; दरियाबाद सुखनिधान-इनके विषय में कुछ भी मात नहीं। दोहा व ५१ दे० (-३३) (बाराबंकी) निवासी स० १८६२ के लगभग वर्तमान थे। दे० (ज-२०) सुखमंजरी-ध्रुवदास कन, वि० गधाकृष्ण के विहार का वर्णन । टे० (क-३ एफ) (ज-७३ के) मुखदेवजी-स्यामी चरणदास के गुरुः स० १७६० के लगभग वर्तमान थे। दे० (क-२) मुखमनी-नानक गुरु कन, लि० का० सं० १५६, वि० राम नाम की महिमा का वर्णन । दे० मुखदेव मिश्र-पहले कम्पिला (फरुखायाद) के (ज-२०७) निवासी, फिर दौलतपुर (रायबरेली) में जा रहे थे, सं० १७२८ के लगभग वर्तमान, असोथर मुखलाल--मुंदरलाल के पिता, जाति के कायस्थ, (फतेहपुर) के राजा भगवतराय म्रीची, अमेठी सं० १६.6 के पूर्व वर्तमान थे। दे० (क-१२५) (सुलतानपुर) के राजा हिम्मतसिंह, औरंगजेब मुखलाल--जाति के भाट; पीड़छा (बुंदेलखंड) के वजीर फाजिल अली डोडिया, खेरा के राय निवासी, मुनरी के पुत्र. सं १६०२ के लगभग मर्दानसिंह बैस, राजसिंह गौर, मुरारिमऊ के वर्तमान थे राजा देवीसिंह और अलायारखॉ के आश्रित दस्तूर श्रमन दे० (छ-११३ ए) थे; इनको कविराज की उपाधि भी मिली थी, मसीहत नामा दे०(छ-११३ बी) शंभूनाथ घिपाठी के गुरु थे। दे० (ज-२७४) राधाकृष्ण कटार दे० (छ-११३ सी) वृत्त विचार दे० (-२४०५) सुखलाल द्विज-सं० १७६७ के लगभग वर्तमान; छद विचार दे० (छ-२४० वी) (ज-३०७ धी) अटेर भदावर (राज्य ग्वालियर ) निवासी