पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१८०

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[ {ej रासरसजमा-महाराज सापासिंद { नागरी । रुरिभणी मगल-अमरम्न धीरे साविक हम दास), पिण की रासलीला का रुक्मिणी वियार पणन 1 (9-1001 धर्मन (प-IVE) ष्ट्रपतापसिंह-स० १८0 मगमग पर्वमाम, रिसाशा वीरंदामी-मोर यि गाया पेरिमारे। सिपाच मिटवत्ती विद्या का पणन (२०(१-५) मारण प्रामकमियासी थे। | इश्मांगद की एयाशी फया-मुदरदास पस रात्र (प्र-२५) मि का० स० 130 ति० स०१७ रूप गमायण-तमसिंह (मपान) मा लि. वि०रामा मगरकी एकादशी मत की का० स०११२१ वि० रामचंद्र वर्मन । क.पा का वर्णन २० (-111) दे० 18-SE टी) फरिमाणीमी को म्यालो-पदुम भगत छत सपदास--सं० १३२ के समग पर्तमान प्रमर विभीरम्य सस्मिणी के पियादा यर्णन। पास के शिष्य थे, एहोंने अपने गुरु सेवादास के नाम पर प्रप लिया। रुक्मिणी परिणाम-ग्रजा पुराडसिंह व सेवासी परिव २० (स-२६८) नि का H REosfeo का०1० 100 रूपदीप-प्राय माम मामरूपदीप जरक स्या शिक रक्मिणी विवाह कर पिस्तव यम । मिपास.19 मि00 २०१५ पि०विंगस पर्षन । दे० (-१३८) (क-८०) रुचिमणी मंगज-मरहरिमाया बिकसमिसखी सम्ण के पियादमापन । ०(4-11) रूपमनीसास कत, पिडा धर्मवीर की कम्पा की कमियत कहानी १०(4-10) हनिपणी मगल-जयलसिर (पघाम) निक का लि. कास. १६३६ किरूपयनरी-पायजमी समवार के सी-समास हष्ण-दक्मिणी विवाह पर्सन । दे.(सपी) केवप्प मोरवय महामभुमनुपायी थे। मिमणी मंगल-बीसलाम छ नि.का. स. प्रहपाम दे०(-२६६) PREलिकासं० १४१ वि० किमी रूप मिश्रर मिश्र के पिता साति के प्रामण हरण वा विवाह वाईन । १० (-1) १६ पूर्फ समान 10 (-२) करिणी मंगल (दूसरो)-रामरम्प चौ रूपरतिक-पायन निवासी परिप्पास सिम्म, हचा विचार और रविमलीक विवाद पैपाय छाधु थे। का वनस२० (-२०० एच) एकान माधुरी दे०१८-२२२) रुक्मिणी मंगल-पास रख लि०६० स० रूपविजास-सादिकतानिक का० सं०१११ FEMसरी प्रतिभा शिका.स.१६ लि. का समाप प्रतिपरका सस, बिहार-फ्मिाणी पिपादपएम.(८- १४२६ और बिकाप्य, साहित्य, पिंगल माविका पद (च-1) (4-104)