पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१५५

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[ १२२ ] मारकंडेय पुराण-दामोदरदास कृत; लि० का० कायस्थ, कदाचित् मेघनाथ प्रधान के कोई सं० १८४७, वि० मारकंडे पुराण का भाषा- संबंधी थे। नुवाद । दे० (ग-६३) हरतालिफा की कथा दे० (छ-७५) मारकंडे मिश्र-सं० १८६६ के पूर्व वर्तमान, मीगवाई-मेडता (जोधपुर) निवासी, राव दूदा जाति के कान्यकुष्ज मिश्र ब्राह्मण थे। राठौर की पौत्री; इनके महल य मंदिर अभी चंडी चरित्र दे० (ज-२६४) नक वर्तमान है; ये घड़ी कृष्ण भक्त थी। माला-उमादास कृत; नि० का० सं० १८६४ दे० (ग-६७) वि० पटियाला नरेश महाराज कर्मसिंह के मुअज्जम शाह-उप० बहादुर शाह; मुग़ल बादशाह मान्यवर साधु मनोहरदास की प्रशंसा । औरंगज़ेय के पुत्र, राज्य का०सं० १७६४-१७६६, दे० ( ङ-६४) अोलम कवि दूसरे के आश्रयदाता थे । मित्र मनोहर (हितोपदेश)-वशीधर कृत, नि० दे० (ध-३३) (उ-६) का० सं० १७७४, लि० का० सं० १६०५, वि० मुकुंददास-सं० १६७२ के लगभग वर्तमान; हितोपदेश का भाषानुवाद । दे० (छ-१२) शाहजाद सलीम (जहाँगीर) के आश्रित । (च-६४) कोक भाषा ० (ज-१८३५) मिथिलाखंड-नवलसिंह (प्रधान) कृत; लिक का० सं० १९२७, वि० सीयस्वयंवर के समय फोक भाषा दे० (ज-१८३ षी) मिथिला पुरी का वर्णन । दे० (छ-७६ या) मुकुंदगय की वार्ता-गिरिधर कृत, नि० का०५ मिहीलाल-वैष्णवदास के शिष्य, १७वीं शताब्दी सं० १८८७, वि० श्रीनाथ (मेवाड) से श्री के जान पड़ते हैं, इनका गुरु वृक्ष इस प्रकार है मुकुंदराय की प्रतिमा के काशी गोपाल मंदिर राघवानद में पधराने का वर्णन । दे० (ज-६३) रामानंद मुकुंदलाल-बनारस के रघुनाथ बंदीजन के समकालीन सं० १८०२ के लगभग वर्तमान; देवाचार्य । भक्तमाल में ये रामानंद से चार पीढ़ी पूर्व थे। काशीनरेश के आश्रित थे। मंत्रदास (स्यात् अग्रदास सं० १६६२, श्रीलाल मुफ्द विलास दे०(घ-६४) फरज़द खेला दे० (८-२६) जानकीदास मुकुंदाचार्य--रीवॉनरेश महाराज रघुराजसिंह के चणवदास प्राचार्य थे। दे० (ख-७) मिहीलाल मुन-असोथर ( फ़तेहपुर ) निवासी; जन्म का० गुरुपकारी भजन दे० (क-५८) सं०१८४६ था। मीनराज प्रधान-बुंदेलखंड निवासी; जाति के सीताराम विवाह दे० (ज-२०१)