पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१५४

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1 [ IR ] शुभसी रुव रामायण बालकांड पर टीका 1 1 मामसिंह-गुबावसिंह के गुरु नामक पंथी थेट ० (-३०) स.१५ क्षगभग पतमाम । ३० (-१४०) मानसि-ओपपूर मग पाप २०१० १८६- (9-5=) १४०० पजा भोमसिंह के मरने पर उनडे | पानसिंह-अन्य नाम प्रतापनारायण सेन (मान), मेरे मा.मानसिंह पड़ी पर बैठे हमको जा प्रपाया (फैजाबाद) मरेण वी शतानी समरनाथ के वरदान से जोधपूर का रूप में बरीमान कषिराममायया के मामयदाता मिता थे बागीराम, गाइराम, ममोपास, मैया पिलोकोगाय सिंह (माषर) पिम्प । सत्तमचर और गभूवच कोशी के मामयदाता दे० (-२४२) (-) पेशसिंह के पिता थे। तबलसिह के भात मानसिंह-विपगप निवासी ग मतावलंबी गदी पर बैठे 1 दे० (ग-१८) (ग-३१) (1-11) थे. म्होंने ग्रंप नरमपुर में लिया था। विशारी राम सरोदे (व-अ) मापधरत दे० (-11)(म-१२) मौनाप रारा दे. (ग-10) मानसिंह (मापी)-पारी ग्राम पा गिरवार (पांगा) निवासी साहिकमालय राण सामर दे०(-53) जागिर ०(८-७३) भार वर्माता दे (ग-5) मानिकदास-उरीन निवासी ये साधु थे और चिदिवासदे०(ग-१००) सफरा नदी के तट परहा करते थे। मासम मासिकामावर.(प-२००) परित दे० (-२३२) पाएनबी बाली दे० (ग-९९३) मार मौसादे (ग-२२५) मान्य-इमक विपर में कुछ भी हाच मही, इनका माप आम १० (ग-२२५) यशपक इस प्रकार माल कीर्तन ० (ग-२२६) बगल दुबे माप भरिया दे० (ग-२२७) भाष पुराप३०(ग-२२४) बामोदर हर मंझ नाम दिता (1-२३) राम विहार दे० (-१६) मुसवेष जाखमणि सपालाम की सपरिष ऐप दे० (ग-२४) 1 72 मानसिंह-म-१२ क लगमा पर्समान मावि श्रृंदावन के बौहान ठाकुर पेशिहरिगाँव (वेरी) निबासीमेत में पेमपरियार चंद्रगढ़ (बंगाल) देयकीनन सदाम मयाराम माली | मैंमा बसे थे। माग्य कवि बचमेप पर दे० (ब-१६) रसनारे (-३) २६