पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१४३

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[ ११० ] भावना पचीसी-चंदहित कृत, वि० राधाकृष्ण का० सं० १८५७, दूसरी प्रति - का का विहार वर्णन । दे० (ज-३६ सी) लि. का० सं० १६०५, वि० भलंकार और भावना पचीसी-चंदलाल कृत,वि० राधा कृष्ण नायिका भेद का वर्णन । दे० (घ-४१) के चरित्र का वर्णन । दे० (ज-४३ जे) (ज-६४ एफ) भावना-प्रकाश-सुरि कुँवरि कृत, नि० का० भावसिंह-बूंदी के महाराज हाडा. सुरजन स. १८४६, वि० 'ब्रज की नित्य-विहार लीला राव के पुत्र, स० १७०० के लगभग वर्तमान ) का वर्णन | दे० (ख-१०४) मतिराम कवि के श्राश्रयदाता । दे० (ध-६७) भावनामृत कादम्बिनी-युगलमजरी कृत, लिक भावार्थ-चंद्रिका—मनियारसिंह कृत, नि० का? का० सं० १८६३, वि० भक्तों का वर्णन तथा सं०१८४२, लि० का० स० १८५६, वि० शिव- राम सीता का विहार-वर्णन । दे० (छ-३४६) स्तोत्र महिम्न का मापानुवाद । दे० (घ-४७) भावना सत—कृपानिवास कृत, वि० राम भजन भापा ज्योतिप-शंकर कवि कृत, लि० का० सं० की दिनचर्या । दे० (छ-२७६ डी) १६४४, वि० ज्योतिष । दे० (छ-३२८ ८) भावना सुवोधनी-चन्द्रलाल कृत, लि० का० भाषा ज्योतिषसार--कृपाराम कृत; नि० का सं० सं० १८९६, वि० राधा कृष्ण के बिहार का १७६२, लि० का० स० १६०६, वि० लघुजातक वर्णन । दे० (ज-४३ ई) संस्कृत का भाषानुवाद । दे० (छ-१८२) भावप्रकाश-गिरधर भट्ट कृत; नि० का० भाषा पिमल-चिंतामणि त्रिपाठी कृत, लि. सं० १९१२, लि. का० सं० १९४०, वि० संस्कृत का० सं० १६३० के लगभग, वि०, पिंगल। वैधक भावप्रकाश का भाषानुवाद । दे० दे० (ज-५०) (छ-३८ सी) भाषा भरण-वैरीसाल कृत; नि० का० सं० भावप्रकाश-संतसिंह कृत; नि० का० सं० १८८७, १८२५, लि० का० सं० १८२८, वि० अलंकार लि. का०सं०१८८८, पि० उत्तर कांड पर वर्णन । दे० (छ-१३२) (ज-१३) टीका । दे० (ज-२८२ जी) भाषा भागवत द्वादशस्कंध-देवीदास कृत; लि. भावप्रकाश पंचाशिका-वृन्द कवि कृत, नि० का० सं०१-४६, वि० भागवत के १२वें स्कंध का० सं० १७४३, लि० का० सं० १६५३, वि० का भाषानुवाद । दे० ( ङ-८३) शृंगार रस का वर्णन । दे० (ज-३३० ए) भावप्रकाशिनी टीका-संतसिंह कृत, नि० का० भाषा भागवत समूल एकादशस्कंध-हरिदास ब्राह्मण कृत, नि० का० सं० १८१३, लि० का० सं० १८८१, सि० का० सं० १८६०, वि० संपूर्ण सं० १८२०, वि० भागवत के एकादशस्कंध का रामायण पर टीका; इसी नाम से उत्तर कांड भाषानुवाद । दे० (-५५) की भी टीका है। दे० (ङ-७८) (ज-२८२ ए) भाव-विलास-कवि देव ( देवदत्त) कृत; लि० भाषा भूषण-राजा जसवंतसिंह कृत; नि० का० स० १७१७, लि० का० सं० १८४२, वि० अलं- .